________________
उस धातिकर्मके कार्यकी आलोचना न करती हुइ विराधिभावमें कालकर सौधर्म देवलोकके बहुपुत्तीया वैमानमें बहुपुत्तीया देवीपणे उत्पन्न हुइ है वहांपर च्यार पल्योपमकी स्थिति है.
हे भगवान! देवतावों में पुत्रपुत्री तो नहीं होते है फीर इस देवीका नाम बहुपुत्तीया कैसे हुआ!
हे गौतम! यह देयी शकेन्द्रकी आज्ञाधारक है। जिस बखत शकेन्द्र इस देवीको बोलाते है उस समय पूर्वभवकी पीपासावालीदेवी बहुतसे देवकुँमर देवकुँमारी बनाके जाती है इसवास्ते देवतावोंने भी इसका नाम बहुपुत्तीया रख दीया है ।
हे भगवान! यह बहुपुत्तीयादेवी यहांसे चवके कहां जावेगी?
हे गौतम! इसी जम्बुद्विपके भरतक्षेत्रमे विद्याचल नामका पर्वतके पास वैभिल नामका सन्निवेसके अन्दर एक ब्राह्मणकुलमे पुत्रीपणे जन्म लेगी. उसका मातापिता मोहत्सवादि करता हुवा सोमा नाम रखेगा अच्छी सुन्दर स्वरूपवन्त होगी. यह लडकी यौवन वय प्राप्त करेगी उस समय पुत्रीका मातापिता अपने कुलके भाणेज रष्टकुटके साथ पाणीग्रहन करा देगा। रष्टकुट उस सोमा भार्याको बड़े ही हिफाजतके साथ रखेगा । सोमा भार्या अपने पति रष्टकुटके साथ मनुष्य संबधि भोग भोगवते प्रतिवर्ष एकेक युगलका जन्म होनेसे सोला वर्ष में उस सोमाब्राह्मणीके बत्तीस पुत्र पुत्रीयोंका जन्म होगा । जब सोमा उस पुत्र पुत्रीयोंका पुरण तौरपर पालन कर न सकेगा। वह बत्तीस बालक सोमामातासे कोइ दुद्ध मांगेगा कोई खांड मांगेगा. कोइ खाजा मांगेगा, कोइ हसेगा. कोइ छींकेगा, कोइ सोमाको ताडना करेगा, कोइ तरजन करेंगा. कोइ घरमे
११