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अथश्री कप्पवडिसिया सूत्र.
(दश अध्ययन) प्रथमाध्ययन-चम्पा नगरी पुर्णभद्र उद्यान पुर्णभद्रयक्ष कोणक राजा पद्मावती राणी श्रेणक राजाकि काली राणी जिस्के काली कुमार पुत्र इस सबका बर्णन प्रथम अध्ययनसे समझना। - कालीकुमार के प्रभावति राणी. जिसको सिंह स्वप्न सूचित पद्मनामका कुमारका जन्म हुवा. माता पिताने घडाही महोत्सव किया. यावत् युवक अवस्था होनेसे आठ राजकन्यावोंके साथ पाणिग्रहन करा दिया. यावत् पंचेन्द्रियके सुख भोगवते हुवे काल निर्गमन कर रहे थे।
भगवान वीर प्रभु अपने शिष्य मंडलके परिवारसे भव्य जीवोंका उद्धार करते हुवे चम्पानगरी के पुर्णभद्र उद्यान में पधारे।
कोणक राजा वडाही उत्सावसे च्यार प्रकारकी सेना ले भगवानको वन्दन करनेकों जारहा था, नगर निवासी लोगभी एकत्र मीलके भगवानकों वन्दन निमत्त मध्य बजारमें आरहे थे. इस मनुष्यों के वृन्द को पद्मकुमार देखके अपने अनुचरोंसे पुच्छा कि आज चम्पानगरी के अन्दर क्या महोत्सव है ? अनुचरोंने उत्तर दीया कि हे स्वामिन् आज भगवान वीर प्रभु पधारे है वास्ते जनसमूह एकत्रहो भगवानको वन्दन करनेको जारहे है। यह सुनके पनकुमार भी च्यार अश्वोके रथपर आरूढ हो भगवानकों वन्दन करनेकों सर्व लोकोंके साथमें गया भगवानकों प्रदिक्षणा दे वन्दना कर अपने अपने योग्य स्थानपर बेठ गये।