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* स्पर्शी है ? असंख्यातमें भाग स्पर्शी हैं । घणा संख्यातमें भाग असं ० में भाग तथा सर्वधर्मास्तिको स्पर्शी हैं ?
( उ० ) केवल दूजे भागे धर्मास्तिकाय के असं ० में भाग स्पर्श किया है एवं घनोदधि, धन वायु, तन वायु और अवकाशांतर सं० में भाग स्पर्शी है एवं यावत् सातमी नरक समझना और इसी तरह जम्बू द्वीपादि द्वीप, लवण समुद्रादि समुद्र, सौधर्मादि कल्प बैमान यावत् इत् पभारा पृथ्वी तक सर्व धर्मास्तिकायके असं० में भाग स्पर्श किया है। शेष नहीं ।
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं० १९४
श्री भगवती सूत्र श० ८ ३०२ ( आसी विष )
हे भगवान् ! आसी विष कितने प्रकारका है ? आसी विष दो प्रकार के हैं । एक जाति आतीविष दूसरा कर्म आसीविष जिसमें जाति आसीविष योनी में स्वाभावसे ही होता है जिनके चार भेद हैं (१) विच्छू (२) मंडूक (२) सर्प (४) मनुष्य
विच्छू आसविषका कितना जहर होता है ? यथा कोई पुरुष अर्द्धभरत प्रमाण ( २३८ योजन ३ कला ) शरीर बनाके सोता हो उसको वह विच्छू काटे तो सारे शरीरमें जहर व्याप्त होजाय इतना जहर विच्छू में होता है परन्तु ऐसा न कबी हुवा न होता है न होगा मगर केवलीयोंने अपने केवलज्ञानसे देखा वैसा फरमाया है इसी माफक मेंडक भी समझना परन्तु विष