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देशना सुन अपने जेष्ठ पुत्रको राज देके उदाई राजाकी माफीक दीक्षा ग्रहन करी एका दशांग अध्ययन कर विचत्र प्रकारकि तपश्चर्या करते हुवे वहुतसे वर्ष दीक्षा पाल अन्तमे विपुलगिरि (व्यवहारगिरि) पर केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गये इति सोलवाध्ययन । इति छट्ठावर्ग समाप्त। .
(७) सातवा वर्गके तेरह अध्ययन
राजग्रह नगर गुणशीलाधान श्रेणिकराजा चेलनाराणी अभयकुमारमंत्री भगवान वीरप्रभुका आगमन, राजा श्रेणककावन्दनको जाना यहसर्वाधिकर पूर्वके माफीक समझना । परन्तु श्रेणकराना कि नन्दानामकि राणी भगवानकि धर्मदेशना श्रवण कर श्रेणिकराजाकि आज्ञा लेके प्रभु पासे दीक्षा ग्रहनकर चन्दनबालाजीके समिप रहेतीहुइ एकादशांगका अध्ययन कर विचित्र प्रकारकी तपश्चर्या करती हुइ कर्मशत्रुवोंका पराजयकर केवलज्ञान पाके मोक्षगइ इति 1१। एवं ( २) नन्दमती (३) नन्दोतरा (४) नन्दसेना (५) मरुता (६) सुमरुता (७) महामरूता (८) मरूदेवा (९) भद्रा (१०) सुभद्रा (११) सुजाता (१२) सुमाणसा (१३) भुतादिना यह तेरहा राणी या अपने पति श्रेणकराजाकि आज्ञासे भगवान वीर प्रभुके पास दीक्षा लेके सर्वने इग्यारे अंगका ज्ञान पढा। बहुतसी तपस्याकर अन्तमे केवलज्ञान प्राप्तकर मोक्ष गह है इति सातवा वर्ग समाप्तं ।