________________
१५३
११ एक साधु दुसरे साधुपर आक्षेप ( कलंक १४७ १२ मुनि कामपीडत हो संसारमे जावे १३ निरापेक्षी साधुको स्वल्पकालमे भी पति १५८ १४ परिहार तप वाला मुनि
१४९ १५ गण ( गच्छ ) धारणकरनेवाले मुनि
१५० १६ तीन वर्षों के दीक्षित अखंडाचारीको उपाध्यायपणा १५१ १७ आठ वर्षों के दीक्षित ,. आचार्यपद १८ एकदिनके दिक्षितकों आचार्यपद
१५२ १९ गच्छवासी तरुण साधु २० वेश में अत्याचार करने वालेको २१ कामपिडित गच्छ त्याग अत्याचारकरे २२ बहुश्रुतिकारणात् मायामृषाबाद बोले तो २३ आचार्य तथा साधुवोंको विहार तथा रहना २४ साधुवोंको पनि देना तथा छोडाना २५ लघुदीक्षा वडीदिक्षा देने का काल २६ ज्ञानाभ्यासके निमत्त पर गच्छ में जाना २७ मुनि,विहारमें आचार्यकि आज्ञा २८ लघु गुरु होके रहना
१६३ २९ साध्वीयोंको विहार करनेका ३० साध्वीयोंके पद्विदेना तथा छोडाना ३१ साधु साध्वीयों पढाहुवा ज्ञान विस्मृत हो जावे १६६ ३२ स्थवीरोंको ज्ञानाभ्यासे ३३ साधु साध्वीयोंकि आलोचना
१६८ ३४ साधु साध्वीयोंकों सर्प काट जावे तो
१६८ ..३५ मुनि संसारी न्यातीलोंके वहांगोचरी जाये तो १६९ ... ३६ शात या अज्ञात मुनियोंके रहने योग्य
३७ अन्यगच्छसे आइ हा साध्वी
१५७
१६०
દર