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. हे करूणासिन्धु ! आपश्रीने इस फलोधी नगरपर ही नहीं किन्तु अपने पूर्ण परिश्रम द्वारा जैन सिद्धान्तोंके तत्वज्ञानमय ७५००० पुस्तकें प्रकाशित करवाके अखिल भारतवासी जैन समाज पर बड़ा भारी उपकार किया है. यह आपश्रीका परम उपकाररुपी चित्र सदैवके लिये हमारे अन्तःकरणमें स्मरणीय है।
हे स्वामिन् ! फलोधीसे गत वर्षमें जैसलमेरका संघ निकला, उस्में भी आप सरीखे अतिशयधारी मुनिमहाराजोंके पधारनेसे जैन शासनकी अवर्णनीय उन्नति हुइ, जो कि फलोधी वसनेके बाद यह सुअवसर हम लोगोंको अपूर्व ही मीला था। .
हे दयाल ! आपश्रीकी कृपासे यहांके श्रावकवर्ग भगवानकी भक्तिके लिये समवसरणकी रचना, अठ्ठाइमहोत्सव, नित्य नवी २ पूजा भणवाक वरघोडा और स्वामिवात्सल्यादि शुभ कार्योंमें अपनी चल लक्ष्मीका सदुपयोगसे धर्मजागृति कर शासनोन्नतिका लाभ लिया है वह सब आपश्रीके बिराजनेका ही प्रभाव है । ___आपश्रीके बिराजनेसे ज्ञानद्रव्य, देवद्रव्य, जिर्णोद्धारके चन्दे आदि अनेक शुभ कार्योका लाभ हम लोगोंको मीला है ।
अधिक हर्षका विषय यह है कि यहांपर कितनेक धर्मद्वेषी नास्तिक शिरोमणि धर्मकार्योमें विघ्न करनेवालोंको भी आपश्रीके जरिये अच्छा प्रतिबोध (नशियत) हुवा है, आशा है कि अब वह लोग धर्मविघ्न न करेंगे।
अन्तमें यह फलोधी श्रीसंघ आपनीका अन्तःकरणसे परमो