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सुनना मनसे भि नही चाहती है । जहाँतकतुमारे मातापिता जीवे वहाँतक संसारका सुख भोगवो। जब तुमारे मातापिता कालधर्म प्राप्त हो जाय बाद में तुमारे पुत्रादिकि वृद्धि होनेपर तुमारी इच्छा हो तो खुशीसे दीक्षा लेना।
माताका यह वचन सुन गौतमकुमार बोला कि हे माता ! एसा मातापिता पुत्रका भव तो जीव अनन्तीवार कीया है इन्होंसे कुछ भी कल्यान नहीं है और मुझे यह भी विश्वास नही है कि में पहेला जाउंगा कि मातापिता पहिले जावेगा अर्थात् कालका विश्वास समय मात्रका भी नही है वास्ते आप आज्ञा दो तो मैं भगवानके पास दीक्षा ले मेरा कल्यान करूं।
माता बोली हे लालजी! तुमारे बाप दादादि पूर्वजोंके संग्रह कीया हुवा द्रव्य है इन्हीको भोगविलासके काममें लो और देवांगना जेसी आठ राजकन्या तुमको परणाइ है इन्होंके साथ कामभोग भोगवों फीर यावत् कुलवृद्धि होनेसे दीक्षा लेना।
कुमार बोला कि हे माता! में यह नहीं जानता हूं कि यह द्रव्य ओर स्त्रियों पहले जावेगी कि मैं पहला जाउंगा। कारण यह धन जोबन स्त्रियांदि सर्व अस्थिर है ओर में तो थीरवास करना चाहता हुं वास्ते आज्ञा दो दीक्षा ले उंगा। ___ माता निराश हो गइ परन्तु मोहनीकर्म जगतमें जबरदस्त है माता बोली कि हे लालजी! आप मुझे तो छोड जावोगा परन्तु पहला खुब दीर्घदृष्टीसे विचार करीये यह निग्रन्थके प्रवचन एसे ही है कि इन्होंका आराधन करनेवालोंको जन्मजरा मृत्यु आदिसे मुक्तकर अक्षय स्थानको प्राप्त करा देता है परन्तु याद रखो संजम खांडाकी धारपर चलना है, वेलुका कवलीया जेसा असार है, म. यणके दान्तोंसे लोहाका चीना चाश्ना है नदीके सामे पुर चलना