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( ७२ ) निर्जराका हेतु भूत होनेसे यह आचरण अगीकार करने योग्य है ।
(११) प्रमाण विषय शंका जब प्रत्यक्ष प्रमाण है तो फीर अन्य प्रमाणें कि क्या आवश्यक्ता है । जेसे प्रत्यक्ष प्रमाणसे सूर्योदय होता है वह भूमि से निकलता हुआ दीखाई देता है और आगम प्रमाण कहता है कि भूमि से सूर्य ८०० योजन उचा है एसा तफावत क्यो ?
समाधान- कितनेक पदार्थों का निर्णय आगमादि प्रमाणसे होता है वास्ते सर्व प्रमाण मानने योग्य है । सूर्य ८०० योजन उच्चा है यह आगम प्रमाण सत्य है और प्रत्यक्ष प्रमाणसे भूमिसे निकलता है इसका कारण यह है कि सूर्य तों ८०० उंचा ही है परन्तु यहासे दूर बहुत है वास्ते चरम चक्षुवाले मनुष्योंकों मालम होता है कि सूर्य भूमिसे निकलता है ।
उपर लिखे १३ बोल तथा इन्हीके सिवाय और भी बोलोंमें अज्ञातपणे से शंका होती है कि यह केसे । कांक्षा होती है कि कुच्छ अन्य लोकों का कहना ठीक होगा। वित्गीच्छा भेद समाचन्न कुल ष समावन्न इत्यादि मलीनता होनासे साधु भि कांक्षा मोहनिय कर्म वेदता है इस संबन्धपर हमने समाधान भि साथके साथ मे लिख दिया है कि पढनेवालोंकों कांक्षा मोहनियकों अपने हृदय स्थान देना ही नही पडे इति ।
सेवं भंते सेवं भंते तìव सच्चम् ।