________________
तलाक़ के पक्ष और विपक्ष में सरस्वती में कई लेख प्रकाशित हो चुके हैं। यह लेब उन सब लेग्वों से भिन्न और अधिक विचार-पूर्ण है। इस लेख में विद्वान लेखक ने बड़े जोरदार तों से यह सिद्ध किया है कि सभ्य-समाज में सर्वत्र तलाक़ का प्रचार हुआ है और होना चाहिए।
वश्यकताअाविष्कार की जननी पुराने सिद्धान्तों को लेकर वास्तविक जगत् से एक-दम दूर ही नहीं, प्रत्येक परिवर्तन के चले जाते हैं और यह सोचना एक-दम छोड़ देते हैं कि पूर्व की अवस्था भी है । जब अमुक प्रश्न मनु के साँचे में ढलकर भी समाज की हम किसी प्रकार के परिवर्तन- वर्तमान समस्या के हल करने में समर्थ हो सकेगा या किसी प्रकार की क्रान्ति को नहीं । हम लोगों को विदेशियों के फैशन-परस्त की उपाधि जन्म देते हैं तब उसके पूर्व दी जाती है, पर हमारे वे भाई यह सेाचना भूल जाते हैं
अावश्यकता और असंतोष का कि पीरपरस्ती तो सदैव ही पीरपरस्ती ही रहेगी, चाहे वह एक ऐसा विक्षुब्ध वातावरण पाते हैं जिसे उस समय की देश की हो या विदेश की-अन्धविश्वास जैसे भारत का प्रचलित प्रणाली किसी प्रकार नियंत्रण करने में समर्थ नहीं त्याज्य है, वैसे ही योरप का। हो सकी थी। समाज के सारे नियम-उपनियम किसी 'सरस्वती' के पिछले किसी अंक में एक सजन ने तलाक़ अतीत अवस्था के द्योतक भले ही हो, वे मदा के लिए सत्य के विपक्ष में एक लेख लिखा है। उसमें विवाह की मार्थनहीं हो सकते। मनुष्य समय समय पर इन नियमों का, इन कता और उसकी उपादेयता के प्रमाण में उन्होंने रूढ़ियों का परिष्कार करता आया है। इसी को हम सामाजिक सुधार का नाम देते हैं।
जब जब समाज रूढ़ियों और अन्धपरम्पराओं के बाहुल्य से व्याकुल हो उठता है तब 'धर्म की हानि' का कारण बताकर ईश्वर महाराज चाहे अवतार लेने में पिछड़ जाते हो, पर समाज-सुधार के सच्चे पुजारी सामाजिक क्रान्ति करके समाज को विनाश की ओर जाने से बचाने में श्रागा पीछा नहीं करते । बुद्ध और ईसा ने जिस प्रकार सामाजिक क्रान्ति का प्रारम्भ किया था, महात्मा गान्धी भी अाज उसी सामाजिक दासता को दूर करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
आज-कल यह कुछ नियम मा हो गया है कि सामाजिक स्वतंत्रता का ज़िक्र यात ही हमारे रूढ़िवादी भाई बिना ममझे ही विरोध करने को तैयार हो जाते हैं। इसे हम अपने देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे । वास्तव में हमारा सामाजिक दृष्टिकोण ही ऐसा हो गया है कि हम अपने
लेखक, कुँवर सुरेशसिंह
PORN
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com