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प्राकृतव्याकरणे
वन्द्र शब्द में ( आदि अ का ) और खण्डित शब्द में ( अगले ) णकार सहित आदि अ का विकल्प से उ होता है। उदा०-वुन्द्र... .. 'खण्डिभो।
गवये वः ।। ५४ ॥ गवयशब्दे वकाराकारस्य उत्वं भवति । गउओ गउआ।
गवय शब्द में वकार में से अकार का ( वकार के सह ) उ होता है। उदा.गउओ, गउआ ।
प्रथमे प्रथोर्वा ॥ ५५ ॥ प्रथमशब्दे पकारथकारयोरकारस्य युगपत् क्रमेण च उकारो वा भवति। पुढुमं पुढमं पढुमं पढमं ।
प्रथम शब्द में, एकार और थकार में से अकार का उकार एक ही समय और क्रम से विकल्प से होता है । उदा०-पुढभं... .. पढमं ।
ज्ञो णत्वेभिज्ञादौ ।। ५६ ॥ अभिज्ञ एवं प्रकारेषु ज्ञस्य णत्वे कृते ज्ञस्यैव अत उत्वं भवति । अहिण्ण' । सव्वण्ण । कयण्ण । आगमण्ण । णत्व इति किम् । अहिज्जो । सव्वजो। अभिज्ञादाविति किम् । प्राज्ञः पण्णो। येषां ज्ञस्य णत्वे उत्वं दृश्यते ते अभिज्ञादयः ।
अभिज्ञ ऐसे प्रकार के शब्दों में, ज्ञ का ण किए जाने पर अ का ही होता है । उदा०-अहिण्णू आगमण्णू ज्ञ का ण किए जाने पर, ऐसा (सूत्र में) क्यों कहा है ? ( कारण यदि ज्ञ का ण नहीं किया हो, तो ज्ञ में से अ का उ नही होता है। उदा०-) अहिज्जो, सव्वजो । ( सूत्र में ) अभिज्ञ इत्यादि शब्दों में ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण अभिज्ञ इत्यादि शब्द छोड़कर, अन्य शब्दों में ज्ञ में से अ का उ नहीं होता है। उदा०--प्राज्ञः पण्णो । जिन शब्दों में ज्ञ का ण होकर, (श में से अ का ) उ हुआ है ऐसा दिखाई देता है, वे होते हैं अभिज्ञ इत्यादि शब्द ।
एच्छय्यादौ ॥ ५७ ॥ शय्यादिषु आदेरस्य एत्वं भवति । सेज्जा । सुंदरं । गेन्दुअं । एत्थ । शय्या। सौन्दर्य । कन्दुक । अत्र । आर्षे पुरेकम्भं ।
शम्या इत्यादि शब्दों में आदि का ए होता है। उदा०-सेज्जा... .""एस्थ । ( इनके मूल शब्द क्रम से ऐसे हैं :-) शम्या" ... अत्र । आर्ग प्राकृत में अन्य कुछ शब्दों में भी अ का ए होता है । उदा--पुरेकभं । ". १. क्रम से :--अभिज्ञ, सर्वज्ञ, कृतज्ञ, आगमज्ञ । २.क्रम से :--अभिज्ञ, सर्वज्ञ । ३. पुरःकर्म ।
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