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काल
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मार्गणा
गुण
नाना जीवापेक्षया | स्थान प्रमाण ... जघन्य विशेष
| ०१ नं०२ ।
उत्कृष्ट विशेष
प्रमाण ..जघन्य ।
एक जीवापेक्षया विशेष उत्कृष्ट
विशेष
मनुष्य सामान्य १
६८
सर्वदा | विच्छेवाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाव
अन्तर्म. ३,४,१वें से १ला, पुन' ३,४ या ५३पल्य+४७को.पू तीनों वेदोंमे-से प्रत्येक प्को०पू०
+अन्तर्मुहूर्त २४को०पू०; फिर ल अप०में अन्त०;
फिर स्त्री व नपं० वेदमें ८,८ को० पू०-१६ को०पू०; फिर पुरुषवेदमें ७ को० पू० इस प्रकार ४७ को०पू० कर्मभूमिमें भ्रमण कर भोगभूमिमे उपजे
|
२
७१-७२
१समय
६ आवली
उपशम सम्यक्त्वमें ६ आवली काल दोष रहनेपर सासादनमें प्रवेश
| समय उप. सम्य.७,८, अन्तर्मु. संख्यातमनु-७३-७४ |
मनुष्यका सम्य. काउप.सम्या में १समय शेष
में ६याव.शेष रहते युग. प्रवेश रहते युग.प्रवे|
उपशम सम्यक्त्वमे १ समय | काल शेष रहने पर सासादनमें प्रवेश
अन्तम
जघन्यवत्
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
अन्तर्म २८/ज १,४,५,६ठे अन्तर्मु. जघन्यवत् ७७-७८
से पीछे आये सं मनु-युगपत् लौटे
| २८/ज. १,४,५.६ठे से ३रे में |
आ०, अन्तर्मु. वहाँ रह पुन. लौट जायें
मनुष्य स न्य ४
७६ |
सर्वदा | विच्छेदाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाष ८०-२
अन्तर्मु०
२८/ज. १,३,५,६ठे से ४थे में । ३पल्य+देशोन १ को० पू० में त्रिभाग शेष रहनेपर आ. पुन' लौटकर गुणस्थान पूर्व कोडमनुष्यायुको बाँध क्षायिक सम्यपरिवर्तन करे
क्त्वी हो भोगभूमिमें उपजे। मूलोधवत् मनुष्य सामान्यवव
८२
५-१४८२ १-१४ ६८-८२
मुलोधवत् मनुष्य सामान्य
मनुष्य पर्याप्त
६८-८२/
बत्
मनुष्यणी
१-३६८-७८ | ४ ७६
६८-७८ सर्वदा विच्छेदाभाव | सर्वदा बिच्छेदाभाव ८०-८१
अन्तर्मुः । मनुष्य सामान्यवर
| ३ पल्य-मास | २८/ज. भोग भूमिया मनुष्यणी हो व ४६ दिन हमास गर्भ में रह ४६ दिनमें पर्याप्ति |
पूर्ण कर सम्यक्त्वी हो।
मनुष्य सामान्य
८२
मनुष्य सामान्यवत्
६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाएँ
बद
मनुष्य ल० अप० १
परिभ्रमण
अन्तर्मुहूर्त
क्षुद्रभव
परिभ्रमण
८३-८४
क्षुद्रभव
अनेक जीवोका पत्य/अ. सतति क्रम ८५-८६ युगपत प्रवेश व न टूटे निर्गमन
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