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जन्म
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६. गति-अगति चूलिका
११.गुणोत्पादन सारणी- अर्थात कौन गतिसे किस गतिमें उत्पन्न होकर कौन-कौनसे गुण उत्पन्न करनेके योग्य होना सम्भव है तथा शलाका पुरुषों में से क्या-क्या बनना सम्भव है। संकेत- ४-नहीं होता; उ.-उत्पन्न कर सकते हैं; नि.उ.नियमसे उत्पन्न करते हैं। नि.र-नियमसे रहता है; वि.र. विकल्पसे रहता है।
शेष संकेतोंके लिए देखो जन्म/६/१।
कौनसे गुण उत्पन्न कर सकता है
किस
ज्ञान
सम्यक्त्व संयम
शलाका पुरुष
किस गतिमें आकर
गतिसे
ष.ख./६
मा
योग जोड
मति श्रुत
अवधि मन.पर्यय केवल सम्यक मिथ्यात्वे सम्यक्त्व
संयमासंयम
संयम
बलदेव
वासुदेव
चक्रवर्ती
तीर्थकर
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१. नरक गतिसे-(प.ख.६/१,६-६/सूत्र २०३-२२०/४८४-४६२); (म.आ./११५५-११६१); (रा.बा./३/६/७११६८/३०); (ह.पु./४/३७६-३८२);
(त्रि.सा./२०४)। २०३-२०४ | सप्तम पृथिवीसेतियंच २०५ | xxx २०६-२०७ षष्ट पृथिवीसे (तियच २०८ उ.
1 मनुष्य २०६-२१० पंचम पृथिवीसे (तियंच
र मनुष्य २१२ | .. २१३-२१४ चतुर्थ पृथिवीसे (तियंच २१५ , ।
मनुष्य २१६, २१७-२१८ तृ० द्वि० प्र० पृथिवीसे (तियंच
मनुष्य २२० | " " | उ. उ. " " " ' उ. | | २. तिर्यंच गतिसे-(प.व./६/१,६-६/सूत्र २२१-२२५/४६२-४६३); (ति.प./५/३१०-३१४); (त्रि.सा./५४६) २२१-२२२ । सामान्य ति. संख्य० नरक २२३| उ. | उ.
| उ.| उ ४] ४| तियच मनुष्य
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देव
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'नारक
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ति.प./ सभी ३४ प्रकारके मनुष्य १/३१४ एम. बा. आदि ति. संख्य.
--xx x xउ, | | (दे०जीव समास) - ति. असंख्य ० दे
ति. संख्यावत ही जानना ३. मनुष्य गतिसे-(प.स्व.६/१,६-४/सूत्र २२१-२२५/४६२-४६३) २२१-२२२ ।
| चारों । - उपरोक्त तियंचवत --- ४. देवगतिसे- (प.ख.६/१,६-६/सूत्र २२६-२४३/४६४-५००) २२६-२२७ । देव सामान्य I तिर्यंच, २२८ उ. | उ. | उ. | ४ |
Ixxxxxx 7 मनुष्य २२६, २३०-२३१ (भवनत्रिक देवदेवी तिर्यच
सौधर्म द्विको देवी 1 मनुष्य | २३४ (सौधर्मसे शतार | तियंच
सहस्रार तकके देव | 1 मनुष्य २३५-२३६ | आनतसे अन्त ग्रैवे. मनुष्य २३८-२३६ अनुदिशसे अपराजित
२४० नि र.नि.र. वि.र २४१-२४२ सर्वार्थ सिद्धि देव
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