Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 2
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 598
________________ निक्षेप १. निक्षेप सामान्य निर्देश ६ निक्षेपोका द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिकमें अन्तर्भाव १ भाव निक्षेप पर्यायार्थिक है और शेष तीन द्रव्यार्थिक । २ | भावमें कथंचित् द्रव्यार्थिक और नाम व द्रव्यमें कथंचित् पर्यायार्थिकपना। ३-५ नामादि तीनको द्रव्यार्थिक कहनेमें हेतु। भावको पर्यायार्थिक व द्रव्यार्थिक कहने में हेतु । ३ निक्षेपोंका नैगमादि नयों में अन्तर्माव नयोंके विषयरूपसे निक्षेपोंका नाम निर्देश । तीनों द्रव्याथिक नयोंके सभी निक्षेप विषय कैसे ? ऋजुसूत्रके विषय नाम व द्रव्य कैसे ? ऋजुसूत्रमें स्थापना निक्षेप क्यों नहीं ? शब्दनयोंका विषय नाम निक्षेप कैसे ? शब्दनयोंमें द्रव्यनिक्षेप क्यों नहीं? नाम निक्षेप निर्देश । -दे० नाम निक्षेप। द्रग्यनिक्षेप निर्देश व शंकाएँ | द्रव्यनिक्षेपके लक्षण सम्बन्धी शंका। द्रव्यनिक्षेप व द्रव्यके लक्षणोंका समन्वय । -दे० द्रव्य/२/२ आगम द्रव्य निक्षेप विषयक शंकाएँ। । १. आगमद्रब्यनिक्षेपमें द्रव्य निक्षेपपनेकी सिद्धि । २. उपयोग रहितकी भी आगमसंज्ञा कैसे ? नोआगमद्रव्य निक्षेप विषयक शंकाएँ। १. नौआगममें द्रव्यनिक्षेपपनेकी सिद्धि। २. भावी नोआगम द्रव्य निक्षेपपनेको सिद्धि । ३-४. कर्म व नोकर्ममें द्रव्य निक्षेपपनेको सिद्धि। शायक शरीर विषयक शंकाएँ । १. त्रिकाल ज्ञायकशरोरमें द्रव्यनिक्षेपपनेकी सिद्धि । २ ज्ञायक शरीरोंको नोआगम संज्ञा क्यों? ३. भूत व भावी शरीरोंको नोआगमपना कैसे 1 द्रव्य निक्षेपके भेदोंमें परस्पर अन्तर । १. आगम व नोआगममें अन्तर । २. भावी ज्ञायकशरीर व भावी नोआगममें अन्तर। ३. ज्ञायकशरीर और तद्वथतिरिक्तमें अन्तर । ४. भाविनोआगम व तद्वय तिरिक्तमें अन्तर । 69 * स्थापनानिक्षेप निर्देश स्थापना निक्षेप सामान्यका लक्षण । स्थापना निक्षेपके भेद। स्थापनाका विषय मूर्तीक द्रव्य है। -दे० नय/५/३। सद्भाव व असद्भाव स्थापनाके लक्षण । अकृत्रिम प्रतिमाओमें स्थापना व्यवहार कैसे ? -दे० निक्षेप/५/७/६ । सद्भाव व असद्भाव स्थापनाके भेद । काष्ठकर्म आदि भेदोंके लक्षण । नाम व स्थापनामें अन्तर। सद्भाव व असद्भाव स्थापनामें अन्तर । स्थापना व नोकर्म द्रव्य निक्षेपमें अन्तर । भाव निक्षेप निर्देश व शंका आदि भावनिक्षेप सामान्यका लक्षण । भावनिक्षेपके भेद। आगम व नोआगम भावके भेद व उदाहरण । आगम व नोआगम भावके लक्षण । भावनिक्षेपके लक्षणकी सिद्धि । आगमभावमें भावनिक्षेपपनेकी सिद्धि । आगम व नोआगम भावमें अन्तर । द्रव्य व भाव निक्षेपमें अन्तर । द्रव्यनिक्षपके भेद व लक्षण १. निक्षेप सामान्य निर्देश द्रव्यनिक्षेप सामान्यका लक्षण । द्रव्यनिक्षेपके भेद-प्रभेद । आगम द्रव्यनिक्षेपका लक्षण । नो आगम द्रव्यनिक्षेपका लक्षण । ज्ञायक शरीर सामान्य व विशेषके लक्षण । भावि-नोआगमका लक्षण। तद्वयतिरिक्त सामान्य व विशेषके लक्षण । (१. सामान्य, २. कर्म, ३. नोकर्म, ४-५ लौकिक लोकोत्तर नोकर्म, ६. सचित्तादि नोकर्म तद्वयतिरिक्त) स्थित जित आदि भेदोंके लक्षण । ९ ग्रन्थिम आदि भेदोंके लक्षण । १. निक्षेप सामान्यका लक्षण रा, वा, १/१/-/२८/१२ न्यसनं न्यस्यत इति वा न्यासो निक्षेप इत्यर्थः । सौंपना या धरोहर रखना निक्षेप कहलाता है। अर्थात नामादिकों में वस्तुको रखनेका नाम निक्षेप है। ध.१/१,१.१/गा. १२/१७ उपायो न्यास उच्यते ।१११ -नामादिके द्वारा वस्तुमें भेद करनेके उपायको न्यास या निक्षेप कहते हैं । (ति.प./१/८३) ध.४/१,३,१/२/६ संशये विपर्यये अनध्यवसाये वा स्थित तेभ्योऽपसार्य निश्चये क्षिपतीति निक्षेपः । अथवा बाह्यार्थ विकसपो निक्षेप. । अप्रकृतनिराकरणद्वारेण प्रकृतप्ररूपको वा = १. संशय, विपर्यय और जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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