Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा |
भय लज्जा अरु लोकगति, चतुराई दातार ॥
जिसमें नहिँ ये पांच गुण, संग न कीजै यार ।। ५८ ।।
हे मित्र ! जिस मनुष्य में भय, लज्जा, लौकिक व्यवहार अर्थात् चालचलन, चतुराई, और दानशीलता, ये पांच गुण न हों, उस की संगति नहीं करनी चाहिये ॥ ५८ ॥
काम भेज चाकर परख, बन्धु दुःख में काम ||
मित्र परख आपद पड़े, विभव छीन लख वाम ॥। ५९ ।। कामकाज करने के लिये भेजने पर नौकर चाकरों की परीक्षा हो जाती है, अपने पर दुःख पड़ने पर भाइयोंकी परीक्षा हो जाती है, आपत्ति आने पर मित्र की परीक्षा हो जाती है, और पास में धन न रहने पर स्त्री की परीक्षा हो जाती है ॥ ५९ ॥ आतुरता दुख हू पड़े, शत्रु सङ्कटौ पाय ॥ राजद्वार मसान में, साथ रहै सो भाय ॥ आतुरता ( चित्त में घबराहट ) होने पर, दुःख आने पर, राजदर्बार का कार्य आने पर तथा श्मशान ( मौतसमय ) उसी को अपना भाई समझना चाहिये ॥ ६० ॥
६० ॥
शत्रु से कष्ट पाने पर, में जो साथ रहता है,
सींग नखन के पशु नदी, शस्त्र हाथ जिहि होय || नारी जन अरु राजकुल, मत विश्वास हु कोय ॥ ६१ ॥
सींग और नखवाले पशु, नदी, हाथ में शस्त्र लिये हुए पुरुष, स्त्री तथा राजकुल, इन का विश्वास कभी नहीं करना चाहिये ॥ ६१ ॥
लेवो अमृत विषहु तें, कञ्चन अशुचिहुँ थान ||
उत्तम विद्या नीच से, अकुल रतन तिय आन ॥ ६२ ॥
अमृत यदि विष के भीतर भी हो तो उस को ले लेना चाहिये, सोना यदि अपवित्र स्थान में भी पडा हो तो उसे ले लेना चाहिये, उत्तम विद्या यदि नीच जातिवाले के पास हो तो भी उसे ले लेना चाहिये, तथा स्त्रीरूपी रेल यदि नीच कुल की भी हो तो भी उस का अङ्गीकार कर लेना चाहिये ॥ ६२ ॥
तिरिया भोजन द्विगुण अरु, लाज चौगुनी मान ॥
जिद्द होत तिहि छः गुनी, काम अष्टगुण जान ॥ ६३ ॥
पुरुष की अपेक्षा स्त्री का आहार दुगुना होता है, लज्जा चौगुनी होती है, हठ, छः गुणा होता है और काम अर्थात् विषयभोग की इच्छा आठगुनी होती है ॥ ६३ ॥
१ - परम दिव्य स्त्रीरूप रत्न चक्रवर्त्ती महाराज को प्राप्त होता है- क्योंकि दिव्यांगना की प्राप्ति पूर्ण तपस्या का फल माना गया है अतः पुण्यहीन को उस की प्राप्ति नहीं हो सकती है इस लिये यदि वह स्त्रीरूप रत्न अनार्य म्लेछ जाति का भी हो किन्तु सर्वगुणसम्पन्न हो तो उस की जाति का विचार न कर उस का अंगीकार कर लेना चाहिये |
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