Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनु. विषय
पाना नं.
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४२ छडीसवीं गाथा छा अवता, गाथा और छाया। ४3 भगवान् भार्ग में यलते हुसेन अपनी दृष्टि हो तिरछी उरते
थे और न पीछेडी मोर वे दृष्टिपात उरते थे, जोछाछ पूछता था तो छोछ उत्तर भी नहीं देते थे, ठिन्तु आगेडी
ओर अपने शरीरप्रभा भूमि छो हेजते हुसे यतनापूर्वष्ठ विहार उरते थे। ४४ जासवीं गाथा छा अवतरा, गाथा और छाया। ४५ भार्गमें यलते हुसे लगवान् महावीर शिशिर ऋतु में वस्त्र
छोऽर, टोनों माहुओं छो उन्धों पर नहीं रजहर ठिन्तु घोनों माहुओं को पसार र परीषह और उपसर्गो छो
सहने के लिये यत्न उरते थे। ४६ तेसवीं गाथा छा अवतरा, गाथा और छाया। ४७ भगवानने घस प्रहार छा मायार छा सेवन ठ्यिा । उन्होंने
यह आयार छसलिये पाला छिदूसरे भुनि भी उसी तरह मायार डापालन रे । देश सभाति ।
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॥ति प्रथम
श संपूर्ण ॥
॥अथ द्वितीय देश ॥
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१ द्वितीय देश हा प्रथम देश के साथ संवन्धप्रतिपाहन,
प्रथम गाथा हा अवता , गाथा और छाया । २ विहार में भगवानने पिन आसनों छो, शय्याओं को सेवित
ठ्यिा उन्हें छठे-छस प्रहार सम्प्सू स्वाभी छा प्रश्न । उ द्वितीय गाथा छा अवता, गाथा और छाया। ४ सुधर्भा स्वाभी डा उत्तर--भगवानने विहारासमें शून्य
गृहोंमें, सभामोंमें, प्रधाशालाओंभे, पाश्यशालाओंमें, शारजानोंमें, पुआल ही अनी छुटियोंमें निवास ठ्यिा । ५ तीसरी गाथा हा अवतरा, गाथा और छाया।
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શ્રી આચારાંગ સૂત્ર ૩
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