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अक शूस.
अकहाले
अक्शूल. akshisin-अ. कम.स. । प्रकाशवेल | अक्मोरी aksiri-फा) माहिर, कीमिया दाँ, (Cult:। Iflix.)-ले. ।
कोमियों । कीमिया गर । रासायनिक | सायन अक्स -संज्ञा पु) (य। अवस), शाली । ( .AJsh mist)
(१) प्रतिबिम्ब । छाया । परछाई । (२)चित्र, श्रावसारी पाक aksiri aka-हिं० पु. प्रसिद्ध तसवीर ।
पौधा विशेष अक्स.अ. aksha-० वह व्यक्ति जिसके। अक्सी बूटी aksiri-huti-हिं० बी० यह मसूढ़े फुलेहीं ।
एक रसायनी बूटी है जो लग भग १ फुट ऊंची अक्स.म aksumt अ. मेदाबी मनुष्य, बह;
होती है । हनी तथा पत्र घने, पत्र-जाल-पत्रवत् व्यक्रि जिसका मेद( तांद बड़ा हो। काप्यु लेण्ट :
परन्तु उसले अर्धलग्ने, गम्भीर, हरित वर्णके होते (Corptil: nt ), फैटो (Fatty)-इ।
हैं। इससे लौह ताम्र हो जाता है । हामि य. जून अक्सह, aksill1--अपाहिज, लोथ, जो अपने . स्थान से हिल न सके । क्रिपल ( Cripple).
को अक्सुनाफि (फ)न aksunafin,-(phan)
० हकीमी माप भेद, यह ६ तोले ११ माशे अक्साव ilsāht-अ० (ब. २० ) कुस्य (ए.
२ रत्ती अथवा ६ तोले ६ माशे के बराबर व०), अंतड़ियाँ, प्रांत्र-हिं० । ( Intos
होता है। t.ints)
अक्सफैलस akstituiinst-यु. सहसकोई नाम अक्सियह ॥ksiyaah-nा जी की शराब, यध.
को एक यूटी है। मद्य । ( Bayliy nine)
अक्सूमानस aksānāthasti-यु० रतनजोत अकिसया asiya-n० सुफ़ेद मातरियून । :
( Alanet)-501 अपराजिता श्वेत ( Chitoin chutca, : अवसूमालो simili-यु० सिकाबीन-अ० Linit. Whita )
Fo, द० सिकङ्गी-का० ((Oxyimel) अक्सियानून aksiyahist-यु० जुन्द्रवेवस्तर अक्सू .स. aksusil-अ० अकासवेल का बीज । जुन्द-अ० (Castorm)-ले० ।
तुरुमे कसू स-फा० Cuscuta Reflअक्सीर aksila-हिं० छन्डीला (Narlostal- exil (Soods-of)
chys Jutamansi, . . )ले० अकहल akhala-अ० स्याहचश्म, सरमगी, अक्सौर aksila-० (1) यह रस वा भस्म आँखवाला । (२) छेदनशास्त्रकी परिभाषा में
जो धातु का सोना व चांदी बना दे । रसायन, रगे हान्दाम को कहते हैं। वह रग कुहनी के कीमिया, पारस पत्थर, पारसमणि (Thitor मध्य में भीतर की ओर स्थित है। और कीफाल Sopher'sstone) (२) वह श्रीपधि बवासलीक के मिलाप तथा संयोग द्वारा पैदा ना प्रत्येक रोग को नष्ट करें। वह श्रीपधि होती है । चूकि इसमें क़ीफ़ाल ( Cephalic. जिसके ग्वाने से कभी मनध्य बीमार न हो। वि. Toil) और बासलीक दोनों से शोणित अव्यर्थ। अत्यन्त गुणकारी अत्यन्त लाभ पाता है इस कारण इसके फ़सद (रक्रमोक्षण) कारी।
से सम्पूर्ण शरीर का रक निकलता है। मीडियन अक्सीर बवासीर aksira-banasita-हिक कॅलिक ( muliial cephalic )-इ ।
प. बूटी बवासीर, एक बूटी है जो पृथ्वी से अकहाल khala-० ( व० व० ) कहल मिली हुई होती है । चैत मास में प्रायः होती है। (ए० ब.) सुर्मा, अंजन, नेत्र में लगाने को गुण-रक स्थापक, अतिसार नाशक, हामि यु० शुष्कीपध । कॉलिरियम्ज़ (Collyriums) मार्च १९२०
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