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आओ संस्कृत सीखें
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3. समस्त पृथ्वी को जीतने में और छोड़ने में, व्रत लेने में और पालन करने में
शांतिनाथ भगवान को छोड़ इस त्रिभुवन में कोई समर्थ नहीं हो । (नु) 4. सिद्ध हैम व्याकरण के आठों अध्याय मैंने पढ़े । (अधि + इ) 5. सिद्ध हैम व्याकरण के कर्ता आचार्य श्री हेमचन्द्र को मैं भक्ति से नमस्कार करता
हूँ। (नु) प्रातः काल में पक्षी मधुर आवाज करते हैं । (रु) छात्र खुशी से पढ़ते हैं । (अधि+इ) पवन मंद मंद बहता है । सभी अपने इष्ट देव की स्तुति करते हैं । (स्तु) अरुण का उदय होता है । (उद् + ह) पक्षी अपने घोसले छोड़कर जंगल में जाते हैं । (इ)
परंतु आलसी लोग सोते रहते हैं । (शी) 7. काम के बोझे के कारण मुझ से पूरी रात सोया नहीं जाता है । (शी)
हिन्दी में अनुवाद करो : 1. सत्यानि वचनानि यो ब्रूते, प्रधानमुपशमं च यो व्रजति, शत्रुमपि मित्रं
यथा यः पश्यति, स निर्वाणं गृह्णाति । 2. स एवं चिन्तयन्नेव गत्वा राजानमब्रवीत् । 3. गच्छ, एवममात्यं ब्रूहि ।। 4. महतस्तेजसो बीजं बालोऽयं प्रतिभाति मे । 5. भवन्त एव 'सुतरां लोकवृत्तान्त-निष्णाताः । 6. . 'सुतनु ! ते हृदयाद्वयलीकमपैतु । 7. पुत्रमेवं-गुणोपेतं चक्रवर्तिनमाप्नुहि । 8. हा पुत्र ! हा जात ! हा जातेति ब्रुवाणो मूर्च्छया राजा भूमौ पतितः
प्राणैश्च विमुक्तः। 9. यः सञ्जातो मनस्तापः स त्वाख्यातुं न पार्यते । 10. कैकेयी भरतं नाम भरतभूषणं सुतमसूत । टिप्पणी : 1. तर तथा तम प्रत्यय जब अव्यय या क्रियापद के बाद आते हैं, तब तराम् और
तमाम् होता है, सु (अव्यय) + तर = सुतराम्, पचतितराम् । 2. सु (सुष्ठ) तनूः यस्याः सा सुतनुः तत्सम्बुद्धौ ।