Book Title: Aao Sanskrit Sikhe Part 02
Author(s): Shivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 337
________________ आओ संस्कृत सीखें 1311 ciलं पाठ 24 संस्कृत का हिन्दी 1. जो सुंदर कमलवाला नहीं है वह जल नहीं है, जो लीन भ्रमरवाला नहीं है वह कमल नहीं है, जो मधुर गुंजनवाला नहीं है वह भ्रमर नहीं है, जिसने मेरा मन हरण नहीं किया है वह गुंजन नहीं है। हिरण्यकशिपु दैत्य जिस जिस दिशा को हँसकर भी देखता था, उस दिशा में भयभ्रांत देव नमस्कार करते थे । 3. उस यात्रा में कुतूहलवश मनुष्यों द्वारा बलभद्र और कृष्ण, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की तरह शुक्ल और कृष्ण देखे गये थे। 4. ऋषि ने प्रणाम करने वाले राजा का हाथ द्वारा स्पर्श किया। मानों उसके अंग पर लगी हुई मार्ग की धूल को साफ न करते हों । 5. उस आश्रम में उन दोनों भाइयों ने प्रवेश किया और नयन कमल के लिए सूर्य समान पिता को आगे देखा। 6. और उसके बाद नौ मास और साढ़े सात दिन अधिक धारिणी ने अपनी कान्ति से जिसने सूर्य को भी न्यून किया है (सूर्य से भी अधिक तेजस्वी) ऐसे पुत्र को जन्म दिया। 7. उस सार्थ को लूटने के लिए उस (अटवी में) बाघ की तरह चोर दौड़े और सार्थ के साथ वाले सभी मनुष्य मृग की भाँति भाग गये । 8. उस दिन से सातवें दिन विवाह का मुहूर्त तय किया । 9. जिसको आश्चर्य हुआ है ऐसे राजा ने उस हार को निश्चल दृष्टि द्वारा देखकर उत्तरीय वस्त्र के एक भाग में बाँधा । 10. राजपुत्रों के साथ अनेक प्रकार के क्रीड़ा सुख का अनुभव करनेवाले निरंकुशगतिवाले उस बालक के पाँच वर्ष अंत:पुर में व्यतीत हुए। .. 11. युद्ध में उसके दुश्मनों द्वारा सुंदर धनुषों में बुद्धि न लगाकर निर्बलता और भय को धारण किया गया। हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. भीमराजस्य पुत्री दमयन्ती स्वयंवरे नलं ववार । 2. अनुरक्तो लोको हाहा कर्तुं प्रचक्रमे तं हाहाकारं श्रुत्वा तत्रागत्य दमयन्ती

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