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आओ संस्कृत सीखें 10. प्लवङ्गस्य लाङ्गेलं द्राधिष्ठमुष्ट्रस्य च ह्वसिष्ठमस्ति । 11. हिन्दुस्थानस्य नगरेषु वरिष्ठं नगरं कतरज्जैनानांच तीर्थस्थानेषु वरिष्ठं तीर्थस्थानं
कतमत् । 12. चाणक्यस्य मति स्र्थेष्ठा वर्षिष्ठा चासीत् । 13. सर्वाभ्यो नदीभ्यो गङ्गानद्याः प्रथिमा द्राधिमा च साधिष्ठोऽस्ति । 14. एते सप्त छात्रास्सन्ति तेषु प्रथमे त्रयः पटिष्ठाः चरमाश्च त्रयो मन्दतमाः
सन्ति । 15. मम पार्श्वे व्याकरणस्य द्वे पुस्तके आस्तां तयोरेक तरमहं मम सहाध्यायिनयार्पयम्।
पाठ 23
संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. विनय से धन से या विद्या से विद्या ग्रहण की जा सकती है, वास्तव में चौथा
कारण नही है। 2. प्रथम उम्र में बुद्धिमान मनुष्यों को आत्मा द्वारा (संपूर्ण मन लगाकर) विद्या ग्रहण
करनी चाहिए, दूसरी (मध्य) उम्र में धन कमाना चाहिए और तीसरी उम्र में धर्म
का संग्रह करना चाहिए। 3. राजा एकबार बोलता है, साधु एक बार बोलते हैं, कन्या एक बार दी जाती है,
ये तीनों एक एक बार ही होते हैं । 4. आयुष्य के बिना बत्तीस लक्षण वाला पुरुष भी प्रशंसा का पात्र नहीं है । जैसे
पानी के बिना सरोवर और सुगंध के बिना पुष्प भी प्रशंसा पात्र नही है। 5. दूसरे तीसरे राजा की कीर्ति को सहन नहीं करने वाला यह राजा, इस जगत में
दूसरे जगत में और तीसरे जगत में प्रसिद्ध है । 6. 'दो!' ऐसा वचन सुनकर शरीर में रहे हुए पाँच देवता श्री, ही धी, धृति और कीर्ति
उसी क्षण भाग जाते हैं।(अर्थात् 'तुम दो' ऐसे किसी के पास मांगना नहीं
चाहिए) 7. एक बार, दो बार, तीन बार, चार बार या पाँच बार, महान मनुष्य अपराध को
सहन करते हैं। पहला सुख तंदुरुस्ती, दूसरा सुख लक्ष्मी, तीसरा सुख यश, चौथा सुख पति के हृदय में बसी हुई पत्नी, पंचम सुख विनयवान पुत्र, छठा सुख राजा की असाधारण सौम्य दृष्टि, सातवाँ सुख बिना भय की बस्ती, ये सात सुख जिसके