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आओ संस्कृत सीखें
हो कल्याणकारी, हे वत्स ! अब तुम राम के पास जाओ ।
आपकी आज्ञा के पालन रूपी अमृतरस से जिन्होंने (खुद की) आत्मा का हमेशा सिंचन किया है, उनको नमस्कार हो, उनको यह अंजलि (हाथ जोड़ना) हो और उनकी हम उपासना करते हैं ।
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अत्यंत निर्मल ऐसे शील, विनय आदि गुणों द्वारा वह, समुद्र के मध्य में लीन होनेवाली गंगा नदी की तरह पति के हृदय में लीन हो गई थी । हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद
1. अनुदिनं यथाशक्ति पठ, यथासूत्रं तपोनुतिष्ठ, अधिवेलं भुङ्क्ष्व, उपमूर्खमागाः, अधिस्त्रि न विश्वसिहि, अध्यात्मं लीयस्व, दण्डादण्डि युद्धं मा कुरु, अन्तर्वणंमाट, अनुनृपं बहुशो न गच्छ, अपविचारं मा वद, बहिर्ग्रामं न वस, अनुरूपं ज्ञानं लभस्व, यथाज्ञानं गुणानाष्नुहि ।
पाठ 33
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लंबे समय पश्चात् भी सब को कर्म अवश्य ही फल देते हैं, इन्द्र से लेकर कीड़े तक संसार की स्थिति ऐसी है ।
संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद
उसके द्वारा छाती में प्रहार किये हुए रघु राजा, सैनिकों के आँसुओं के साथ भूमि ऊपर गिरे और पलक मात्र में व्यथा को दूर कर सैनिकों के हर्षनाद के साथ खड़े हो गये ।
पापी और शठ ऐसे उन प्रधानों ने मेरे बाल पुत्र के राज्य को छीनने का प्रारंभ किया है, उन विश्वासघातियों को धिक्कार हो ।
धूल की क्रीड़ा के मित्र समान ये मृग मेरे भाई जैसे हैं। जिनका मैंने दूध पीया है, ऐसी ये भैंसें माता समान हैं।
4. कान से पीने योग्य, अन्य अमृत समान, देवताओं को आनंद देनेवाली उसकी कीर्ति सुधर्म सभा में अप्सराओं द्वारा गायी गई ।
5. शरीर झुक गया है, काया भी लकड़ी की शरणवाली बनी है, दांत की पंक्ति गिर गई है, कर्णयुगल सुनने में असमर्थ हो गए हैं, अंधकार के समूह से श्याम बनी आँखे निस्तेज बन गई हैं, फिर भी आश्चर्य है कि निर्लज्ज ऐसा मेरा मन विषयों की इच्छा करता है।