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आओ संस्कृत सीखें
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- (3) हिरण हिरण के साथ, गाय गाय के साथ, घोड़ा घोड़े के साथ, मूर्ख मूर्ख के साथ और समझदार समझदार के साथ संग करता है, समान आचार और आदतवालों के साथ मैत्री होती है।
अपार इस संसार में किसी भी प्रकार से मनुष्य भव को प्राप्त कर विषयसुख की तृष्णा में डूबा हुआ जो मनुष्य धर्म नहीं करता है, वह मूों में मुख्य है, वह तो समुद्र में डूबते हुए भी श्रेष्ठ जहाज को छोड़कर पत्थर पकड़ने का प्रयत्न करता है।
विद्वान मनुष्य के परिश्रम को वास्तव में विद्वान मनुष्य ही समझता है क्योंकि वंध्या स्त्री, गर्भवाली स्त्री की प्रसव वेदना को नहीं जानती है।
सूर्य उगते समय लाल होता है और अस्त समय भी लाल होता है । बड़े व्यक्ति संपत्ति और विपत्ति में एक समान होते हैं ।
नीच जाति, अनिष्ट का समागम, प्रिय वियोग, भय, दरिद्रता, अपयश और सभी लोगों का पराभव ये सभी पाप रूपी वृक्ष के फल हैं। ..
हे भाई ! कहो, सत्संगति पुरुषों को क्या नहीं करती है। वह बुद्धि की जड़ता दूर करती है, वाणी में सत्य का सिंचन करती है मान की उन्नति करती है, पाप को दूर करती है, चित्त को प्रसन्न करती है और सभी दिशाओं में कीर्ति फैलाती हैं ।
जब तक लीला से उन्नत पूंछवाला सिंह आता नहीं है, तभी तक मद से उन्मत्त बने हुए हाथी वन में गर्जना करते हैं ।
तपे हुए लोहे पर गिरे हुए पानी का नाम ही नहीं रहता है, वही पानी कमल के पत्ते पर रहा हआ मोती के आकार से शोभता है। स्वाति नक्षत्र में सीप के संपट में गिरा वह पानी मोती बनता हैं । प्रायः करके अधम, मध्यम और उत्तम गुण संगति के अनुसार होते हैं।
गुणीजन अपने गुणों से ही सेवनीय हैं, लक्ष्मी से नहीं । क्या फल की ऋद्धि से रहित चंदन का वृक्ष आनंद नहीं देता है?
दरिद्रता समान होने पर भी अहो ! चित्तवृत्ति में कितना अंतर है? कुछ नहीं दे पाए' इस कारण शोक करते हैं, तो कुछ 'कुछ नहीं मिला' इस प्रकार विचार कर शोक करते हैं।
कई (संत पुरुष) अत्यधिक दुःख में भी विपरीत आचरण नहीं करते हैं, जलता