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आओ संस्कृत सीखें
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पाठ 27 ____ संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. कर्णधार के साथ उसको मित्रता हुई। 2. तुमने उसको नहीं देखा, इसलिए इस प्रकार बोला है । 3. ऐसे जंगल के फल मैंने पहले भी खाए है। 4. ये वे सरोवर हैं, जहाँ हंस की तरह मैं ने क्रीड़ा की है, ये वे ही वृक्ष हैं, जिनके
फल मैंने बंदरों की भाँति खाए हैं। 5. पृथ्वी को एक छत्रवाली करनेवाले महापराक्रमी उस (राजा) की आज्ञा, इन्द्र के
वज्र की तरह किसी के द्वारा खंडित नहीं की गई। 6. जलचर द्वारा सागर की तरह उसका घर घोड़े, खच्चर, ऊँट और दूसरे भी वाहनों
द्वारा शोभा देता था। 7. जिससे तुमने प्रेम किया और उत्कंठा की, उसने तीर्थ में क्या दान दिया और क्या तप किया है?
हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद अद्य वयमुद्यानमवाजिष्म तत्र वयं वृक्षस्य छायायामासिष्महि विहङ्गमा मधुरं मधुरमाराविषुः वयमन्तिके आम्रस्य वृक्षानै क्षिष्महि अस्माभिराम्राण्यग्राहिषताखादिषत च, आम्राणि खादित्वा वयमुद्यानस्य सौन्दर्यमीक्षमाणा अभ्रमिष्म (आटिष्म), तावत्येकस्यतरोरध ऊर्ध्वंस्थितो ध्यानस्थो महामुनिरस्माभिरैक्षि, स. मुनी रविरिवादीपि, चन्द्रमा इव
प्राकाशिष्ट वयं मुनिमवन्दिष्महि पश्चाच्च गृहं प्रत्यचालिष्म । 2. मनो! त्वमखिलां रजनीं माटीः । 3. मङ्गलपाठकानां स्तुतिं श्रुत्वा राजा जागरीत् । 4. मनुष्यभवे जन्म लब्ध्वा यूयं किमग्रहीष्ट? पुण्यं वा पापम् । 5. भरतेन प्रहितस्य दूतस्य वचांसि श्रुत्वा बाहुबलिरहसीत् ।