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आओ संस्कृत सीखें
चिकीर्षुः । जिगमिषुः । मुमुक्षुः
भिक्षु भिक्षते इत्येवंशीलः - भिक्षुः । आशंसुः । धातु से आ प्रत्यय लगकर स्त्री लिंग नाम बनते हैं । पातुं इच्छा = पिपासा
जिज्ञासा, लिप्सा, विवक्षा, चिकीर्षा, शब्दार्थ
(पुंलिंग) | व्योमन् = आकाश (पुंलिंग) सलिल = पानी
पशु = पशु
(पुंलिंग) क्षेम = कुशल
भवदत्त = व्यक्ति का नाम (पुंलिंग) आसन्न = नजदीक
व्यवहार = व्यापार
17. सन्नंत
अपहार = नाश करना
निर्घोष = आवाज
शश = खरगोश
अरण्यानी = बड़ा जंगल (स्त्री लिंग)
धरा = पृथ्वी मृगतृष्णा = मृगजल सिकता = रेती
पत्रक = पत्र विषाण = सींग
1.
3.
260
4.
5.
(पुंलिंग) पङ्गु = पंगु
(पुंलिंग) प्रतिनिविष्ट = कदाग्रही
(स्त्रीलिंग) ( स्त्री लिंग) (स्त्रीलिंग) ( नपुं. लिंग) (नपुंलिंग)
बुभुक्षा इत्यादि
( नपुं. लिंग)
( नपुं. लिंग)
( नपुं. लिंग)
संस्कृत में अनुवाद करो
विद्यार्थी जिस प्रकार पढ़ने के लिए इच्छा रखते हैं, उस प्रकार प्रयत्न करने के लिए इच्छा नहीं रखते हैं । (प्र+यत्)
2. करने के लिए इच्छित काम अधूरे होते हैं और मनुष्य मरने की तैयारी मे होता
है । (मृ)
यह प्रासाद गिरने की तैयारी में है, अत: तुम इसमें प्रवेश करने की इच्छा न करो ( प्र + विश्) ।
फूल इकट्ठे करने की इच्छा से सुधा बगीचे में गई ( अव + चि) ।
चोरी करने की इच्छावाला चोरी करके, (मुष)
प्रश्न पूछने की इच्छावाला प्रश्न पूछकर (प्रच्छ ) जानने की इच्छावाला जानकर
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(अव्यय)
लोलुप = लालची
इतस् = यहाँ से
अर्दू
= पीड़ा करना गण 10 आत्मनेपद आ+राध् = आराधना करना गण 10 पर. गर्ह = निंदा करना (गण 1 आत्मनेपद,
गण 10 उभयपद)