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आओ संस्कृत सीखें
11. बजाना, (धमेत्?) बजाना (लेकिन) ज्यादा मत बजाना, ज्यादा बजाना शोभास्पद
नहीं है (ज्यादा अच्छा नहीं है) 12. चंदन, अगरु, कस्तूरी और कपूर वगैरे की गंध से साँप की तरह काम भी अचानक मनुष्य पर आक्रमण करता हैं।
हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. भीममपि दन्दशूकं पिपीलिकाप्रकरो दशति । 2. वल्लयः पर्णैः फलानि गृहन्ति । 3. कुमारपालस्य कीर्ति साधवोऽपि पणायन्ति । 4. सिद्धराजः स्वीयाञ्शत्रूनधूपायत् । 5. वयं जिनं पनायामहे । 6. वणिजः कोटिभी रूप्यकै नित्यं पणन्ते । 7. दन्दशूको बिलान्निरक्रामददशच्च । 8. यूयमकार्येषु कथं सजथ । 9. तस्य चित्तमध्ययनेऽसजत् । 10. रजको राझ्या वस्त्राणि रजति ।
पाठ 3
संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. कुंभकार के चक्र पर चढ़ी हुई मिट्टी के समान, मेरा मन भी बहुत समय से भटकता
2. स्त्री की खुशामद करने वाले जीव संसार में भटकते हैं। 3. जो स्त्रियों में रागी नहीं होता है, उसकी ओर ज्ञान और विवेक आता है ।
5. वास्तव में जीव जन्म लेते हैं और मरते हैं। 6. निर्धन मनुष्यों के मनोरथ (उनके) हृदय में ही लीन हो जाते हैं । 7. सभी प्राणी, इच्छित वस्तु को पाकर सुखी होते हैं । 8. आज मेरा मन वैराग्य में तल्लीन है । 9. तू ही एक मेरा भाई है, जिस कारण मेरे कार्य के लिए दुःखी हो रहा हैं। 10. जिस कारण अयोग्य भी वंदनीय होता है, वह प्रभाव वास्तव में धन का है। .