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आओ संस्कृत सीखें
उबलता हैं, (और) पर्वत मानों धमधमते हैं (तपते हैं)। 6. दूध पिलाना आदि क्रियाओं से धाव माताओ द्वारा लालन-पालन कराता हुआ
वह राजपुत्र क्रमश: वृक्ष की तरह बढ़ा । 7. चार (तत, वितत, घन, सुषिर) प्रकार के वाद्ययंत्र में चतुर ऐसा यह गन्धर्व वर्ग .
तेरे आगे संगीत के लिए सज्ज (तैयार) खड़ा है। 8. पुत्री के वियोग रूपी नये दुःखो से क्या गृहस्थ पीड़ाते नहीं हैं ? (पीड़ाते हैं)
हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. लोक उद्योतकरांस्तीर्थकरानहं कीर्तयामि । 2. यो गुरो र्दोषान्छादयति स छात्रः कथ्यते । 3. जनान्प्रीणयन्ज्याकर्षणेन च धनु —नयन्नजुनो रङ्गभूमावा गच्छत् । 4. जनो यानि कष्टानि धनाय सहति तानि कष्टानि धर्माय न सहति ।
पाठ 6
संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. यदि किसी काम के लिए विलंब न हो तो अभ्युदय के लिए प्रयाण किया जाय। 2. उस राजा ने वैद्य मंडल को बुलाया । राजाओं द्वारा निष्प्रयोजन अधिकारी लोग
बुलाए नहीं जाते हैं। 3. ताजे पुष्पों की माला की तरह आपकी आज्ञा सैकड़ो राजाओं द्वारा वहन की
जाती है। 4. मृग के भय से क्या जौव नहीं बोए जाते हैं ? (बोते हैं) 5. और गंधर्वो ने मधुर मंगल गायनों द्वारा गाया । 6. जिस प्रकार (मनुष्य) कुदाल के द्वारा खोद कर भूमि में से पानी लेता है, वैसे ही
गुरु में रही हुई विद्या को सेवा करने वाला प्राप्त करता है । 7. वास्तव में वह विद्या नहीं है, वह दान नहीं है, वह शिल्प (कारीगरी) नहीं है,
वह कला नहीं है, वह स्थिरता नहीं है, यदि याचकों द्वारा धनवानों का गान नहीं होता। अर्थात् याचक धनवानों को सर्व गुण सम्पन्न कहते हैं।
. हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद सूरस्स एवास्ति हि येनेन्द्रियाणि जीयेरन्, पण्डितस्स एवास्ति हि येन धर्म आचर्येत, वक्ता स एवास्ति हि येन सत्यमुद्येत, दाता च स एवास्ति हि येनाभयं दीयेत ।