Book Title: Aao Sanskrit Sikhe Part 02
Author(s): Shivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 329
________________ आओ संस्कृत सीखें 1303 3. (हाथी के मुँह में) कवल डालना सरल है (लेकिन) हाथी के मुँह में से कवल खींचना शक्य नहीं है । ‘मर जाऊँगा, मर जाऊँगा' इस प्रकार की भावनावाले सत्त्व बिना के जीव फिजूल ही जीव को धारण कर मर जाते हैं। 5. अगर मैं वहाँ होता तो उन दुरात्माओं को नये नये बंधनों द्वारा शिक्षा करता । 6. आपके चरणों का अवलंबन लेने वाला अज्ञानी ऐसा भी मैं संसार का पार पा जाऊँगा क्योंकि गाय की पूँछ को पकड़ने वाला ग्वाले का बालक नदी पार उतर जाता है। 7. आपके साथ दीक्षा लूँगा, आपके साथ विहार करूंगा और आपके साथ दुःख से सहन हों ऐसे परिषहों को मैं सहन करूंगा । 8. हे त्रिजगत्गुरु! आपके साथ उपसर्गों को सहन करूंगा, किसी भी हालत में मैं यहाँ नहीं रहूंगा, मेरे ऊपर मेहरबानी करो । 9. भागे हुए अथवा विनाश पाए हुए, आपको छोड़कर गए हुए हमारे मुख को ऋषि के हत्यारे के मुख की तरह, स्वामी किस प्रकार देखेंगे? 10. तुम्हारे बिना गए हुए हमको देखकर आज लोग भी हसेंगे, हे हृदय! पानी छांटे हुए कच्चे घड़े की तरह तू जल्दी फूट जा। 11. मेरे द्वारा अकेली छोड़ी हुई (और बाद में) जगी हुई, यह मुग्ध नेत्रवाली (दमयंती) मेरे साथ मानों स्पर्धा से जीवन से भी मुक्त हो जाएगी । 12. समर्पित ऐसी इसे ठगकर अन्यत्र जाने के लिए मेरा मन उत्साहित नहीं है। मेरा जीवन या मरण इसी के साथ हो । 13. अथवा नरक जैसे जंगल में नरक के जीव की तरह अनेक दुःखो का भोगी मैं अकेला होऊँ, परंतु वह नहीं होनी चाहिए । 14. तथा मेरे द्वारा वस्त्र में लिखी आज्ञा का अनुसरण कर यह मृगलोचना स्वयं स्वजन के घर जाकर कुशलतापूर्वक रहेगी। 15. इस प्रकार निश्चय करके और उस रात का उल्लंघन करके नल राजा पत्नी के जगने के समय से पहले ही जल्दी से चले गये । 16. धन से मैं पूर्ण हूँ, ऐसा जानकर खुश मत हो और धन बिना मैं खाली हूँ ऐसा जानकर खेद मत कर। खाली को भरा हुआ और भरे हुए को खाली करने में

Loading...

Page Navigation
1 ... 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366