Book Title: Aao Sanskrit Sikhe Part 02
Author(s): Shivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 332
________________ आओ संस्कृत सीखें 2306 हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. खलप्वां स्त्रियो यवक्रियो भवन्ति । 2. राज्ञो राज्यः स्वप्रासादादन्यत्र मार्ग वोन्मार्ग न जानन्ति अत: कूपवर्षाभ्व इव भवन्ति। 3. सौन्दर्यतर्जितस्मरमिमं दृष्ट्वा स्त्रीणां ध्रुव उल्लसन्ति । 4. खलप्वे इव ग्रामण्येऽयं राजा निःस्पृहोस्ति नेर्ण्यति च । 5. यथा धनेच्छया कोऽपिखलप्वं नेच्छति तथायं राजा धनेच्छया ग्रामण्यमपि नेच्छति। 6. ग्रामण्यां सेनानी: स्निह्यति । 7. श्रियै जनाः प्रयतन्तेऽपि धिये न प्रयतन्ते । 8. श्री: स्त्री वा किमप्यात्मनो न, इति तत्त्वविदो वदन्ति । पाठ 21 संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. अथवा क्या अरुण अंधकार को भेदनेवाला होता, अगर सूर्य उसे आगे नहीं करता। 2. आपकी प्रिय वाणी द्वारा ही आतिथ्य सत्कार हुआ है । 3. उद्गार (ओडकार) से जैसे आहार, उसी प्रकार वाणी द्वारा भाव मालूम पड़ते हैं। 4. शास्त्र और लोकव्यवहार का अनुसरण करनेवाली वाणी आदर पात्र है। 5. वास्तव में तिर्यंच भी अपने पुत्रो को अपने प्राणों की तरह संभालते हैं। 6. तुम भी चक्रवर्ती पुत्र प्राप्त करोगे। 7. जिसकी जैसी भावना होती है, उसको वैसी सिद्धि होती है । 8. राज्य की इच्छा करनेवाला वह मरकर मिथिला महापुरी के जनक राजा की पत्नी की कुक्षि में पुत्र के रूप में पैदा हुआ। 9. खेद की बात है कि जड़ मनुष्यो को उदय में विवेक कैसे हो? 10. ज्ञान रूपी अमृत को छोड़कर जड़ मनुष्य इन्द्रियों के विषयों में (विषयों के लिए) भागते हैं, जो इन्द्रियों के वश नहीं हुआ वह धीर पुरुषों में आगे गिना जाता है। 11. प्रकाश सहित सूर्य के बिना दिन भी मेरे लिए रात हो गई क्योंकि अंधकार के समूह से वास्तव में सभी दिशाएँ अंधी हैं। 12. वाणी और मन में स्वच्छ, बड़ों का आदर करनेवाले और उचित राज कार्य में मजबूत, ऐसे मनुष्य यहाँ राज-दरबार में हैं।

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