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आओ संस्कृत सीखें 14. समुद्र सहित पृथ्वी को जीते बिना, अनेक प्रकार के यज्ञों द्वारा यज्ञ किये बिना
और अर्थिजनों को दान दिए बिना, मैं राजा कैसे बनूँ ? 15. अचानक क्रीड़ा के रस के भंग को सामान्य व्यक्ति भी सहन नहीं करता है, तो
लोकोत्तर तेज को धारण करनेवाला राजा क्या सहन करेगा ? 16. एकदम जल्दी से काम नहीं करें। अविवेक परम आपत्ति का स्थान है, वास्तव
में सोचकर करनेवाले को, गुणों में लब्ध संपत्ति अपने आप मिलती है। 17. कलहंस के समूह को पास में लानेवाली, अगस्ति की दृष्टि द्वारा पानी को निर्मल
करती हई, मोती की सीप में उज्ज्वल गर्भ को धारण करनेवाली शरदऋतु विचित्र
आचरण द्वारा शोभती है। 18. मलिन दो वस्त्रों को पहनती हुई, तप से शुष्क मुखवाली, एक वेणी को धारण
की हुई ऐसी शुद्ध शीलवंती, अति निर्दय ऐसे मेरे दीर्घ विरह व्रत को धारण करती
लं
19. राम सोने के मृग को नहीं पहिचान सके। नहुष राजा ने ब्राह्मणों को पालकी में
जोड़ा। ब्राह्मण की बछड़े वाली गाय की चोरी करने में अर्जुन की बुद्धि हुई, धर्मपुत्रने (युधिष्ठिर ने) दाँव में चार भाई और पटराणी दे दी । प्रायः सत्पुरुष भी विनाश के समय बुद्धि से भ्रष्ट हो जाते हैं ।
हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. यदि महत्वमिच्छथ तर्हि दत्त न मार्गयत । 2. जीवानां यावद् मध्ये विषमा कार्यगतिरायाति तावदितर-जनस्त्वास्तां
सुजनोऽप्यन्तरं ददाति । किल न खादति न पिबति न ददाति धर्मे च न व्ययति कृपणो न जानाति
यद् यमस्य दूतः क्षणात्प्रभवति । 4. आशाश्वतमसारं मरणान्तं च देहावासं जानन्को जनो मृत्योरुद्विज्यात् ! 5. केऽपि प्रणयिनो मनोरथान्पिप्रति केचिच्च कुक्षिमपि न बिभ्रति । 6. सर्पस्य विषं तस्य शोणितेऽवेवेट् । 7. रजकस्तडागे वस्त्राणि नेनेक्ति । 8. नृपतेरिमेऽधिकारिणो भूमिं मिमते । 9. अहमिमं ग्रन्थं निर्माय ममशक्तिममिमि । 10. भगवान् हेमचन्द्रसूरिरणहिलपुर-पत्तने सिद्धहेमव्याकरणं निरमिमीत । 11. कर्मणो मुक्तो जीव उजिहीते लोकाग्रमधितिष्ठति च।