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आओ संस्कृत सीखें
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2. परीक्षकेण छात्राः प्रश्नं पृच्छ्यन्ते छात्रैः स्मर्यते परीक्षकाय चोत्तरं दीयते । 3. तन्तून्वयति तन्तुवायः । 4. (यः) गर्ता खनेत् स पतेत् । 5. किङ्करैरयं भारो ग्रामं नेतुमुह्यते । 6. तस्य भ्रात्रा पुष्करेण नलः सर्वमप्यजीयत । 7. आचार्येण धर्मकथा कथयितुमारभ्यते ।
पाठ 7
संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. जो लोग निश्चय ही मेरे विनाश के लिए चंद्रगुप्त की सेवा में तैयार थे, वे ही मेरी
सेवा क्यों कर रहे हैं? 2. उस संदेश को सुनने के लिए देव लायक हैं । 3. अंधा मनुष्य गले में डाली हुई माला को भी सर्प की शंका से हिलाता है । 4. कान में सुई के प्रवेश जैसा उसने पुत्री का जन्म सुना । 5. हे आर्यपुत्र ! आपके बिना एक मुहूर्त भी रहने के लिए मैं शक्तिमान नही हूँ,
इसलिए मेरे द्वारा भी अवश्य जंगल (अरण्य) में जाया जाए । यदि मेरी अवगणना
करके जाते हो तो जाओ, तुम्हारा इष्ट सिद्ध हो । 6. यह बडी कथा है, संक्षेप में कहना मुश्किल है।
वर्णन कराता हुआ उसका वृत्तान्त तू सुन । 8. दशरथ राजा ने सामंत और सचिवों को भी राम को लाने के लिए भेजा। 9. दुःख की बात है कि हर रोज इसी प्रकार बोलती हुई मैं तुझे भी दुखी कर रही
ना
7.
10. किस प्रयोजन से मेरे द्वारा यह भेजा गया है? इस प्रकार प्रयोजन बहुत होने से
वास्तव में मैं याद नहीं कर पाता हूँ। जितेन्द्रियता विनय का साधन है, विनय से गुणों की अधिकता प्राप्त होती है, गुण की अधिकता से लोग अनुरागी बनते है, और लोगो के अनुराग से संपत्ति होती
12. हे महानुभाव ! तू खेद मत कर, अभी वास्तव में शांत हो जा, खोज करते हुए
मेरे द्वारा तेरी प्रिया प्राप्त हुई हैं। 13. शास्त्र रूपी दीपक के बिना अदृष्ट अर्थ में दौड़ते हुए जड़ लोग कदम-कदम पर
स्खलना पाते हुए अत्यंत दुःखी होते है ।