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आओ संस्कृत सीखें
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पपे
पा - कर्मणि में पपिवहे
पपिमहे पपिषे पपाथे
पपिध्वे पपाते
पपिरे ध्यै का ध्या - दध्यौ आदि रूप होंगे । 11. इ - (पढ़ना) धातु का परीक्षा में गा आदेश होता हैं ।
उदा. अधिजगे, अधिजगिवहे, अधिजगिमहे । 12. वस् (क्वसु) तथा आन (कान) इन दो कृत् प्रत्ययों को छोड़कर परोक्षा में अ) स्कृ, कृच्छ् और दीर्घ ऋकारांत धातु के नामि स्वर का गुण होता है । उदा. सञ्चस्करिव, आनर्च्छिव ।
वि + कृ = विचकरिव । ब) संयोग के बाद ह्रस्व ऋ अंत में हो ऐसे धातु तथा ऋ धातु का गुण होता है।
उदा. सस्मरथुः, आरथुः । स्कृ - सञ्चस्कर, सञ्चस्कार, सञ्चस्करिव सञ्चस्करिथ आदि ऋच्छ् - आनछे, आनर्च्छिव, आनर्च्छिथ । वि + कृ - विचकर, विचकार, विचकरिव, विचकरिथ । स्मृ - सस्मर, सस्मार, सस्मरिव, सस्मर्थ ।
कृ - आर, आरतुः, आरिथ आदि 13. शू, दृ व पृ धातु का दीर्घ ऋ परोक्षा में विकल्प से ह्रस्व होता है । उदा. ह्रस्व हो तब विशश्रुः अन्यथा विशशरुः
शृ के रूप शशर, शशार शश्रिव, शशरिव शश्रिम, शशरिम शशरिथ शश्रथुः, शशरथुः মা, মামা शशार.
शश्रतुः शशरतुः शश्रुः, शशरुः 14. कुट्, स्फुट्, त्रुट्, स्फुर्, नू और धू आदि कुटादि छठे गंण के धातुओं से जित् और
णित् सिवाय के सभी प्रत्यय ङित् समान होते हैं । उदा. कुटिता, कुटितुम्, कुटितव्यम्, कुटित्वा । नुविता, नुवितुम् आदि परोक्षा में प्रथम पुरुष एकवचन का प्रत्यय विकल्प से णित् है अतः विकल्प से