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आओ संस्कृत सीखें
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क्रम
स्नु का परस्मैपद --प्रास्नावीत्
आत्मने - प्रास्नोषाताम् (कर्मणि) परस्मै - अक्रमीत् आत्मने - अक्रस्त
कर्मणि में रूप भिद् अभेदि अभित्साताम्
अभित्सत नी अनायि अनेषाताम्
अनेषत अकारि अकृषाताम्
अकृषत अमायि अमासाताम्
अमासत अदायि अदिषाताम्
अदिषत अघानि अहसाताम्
अहसत कृ अकारि - अकारिषाताम्, अकृषाताम् - अकारिषत, अकृषत दा अदायि - अदायिषाताम्, अदिषाताम् - अदायिषत, अदिषत
अदर्शि अदर्शिषाताम्, अदृक्षाताम् । हन् अघानि, अवधि । अघानिषाताम्, अवधिषाताम्, अहसाताम् आदि
तीसरा प्रकार (अनिट् धातुओं का) . 1. तीसरे प्रकार में स् (सिच्) के बदले स (सक्) होता है । 2. ह् और शिट् (श्, ष् और स्) व्यंजन अंत में हो ऐसे उपांत्य नामि स्वरवाले अनिट्
धातुओं से स (सक्) प्रत्यय होता है (दृश् धातु को छोड़कर) स्प्रत्यय कित् होने से गुण नहीं होगा।
परस्मैपद के प्रत्यय
साव
साम
सत सन्
सतम्
सताम् आत्मनेपद के प्रत्यय
सावहि साथाम् साताम्
सथास्
सामहि सध्वम् सन्त
सत