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आओ संस्कृत सीखें
ईश = महादेव पार = अंत
उमा =
पार्वती
1.
2.
3.
4.
5.
6.
दासीष्ट, दायिषीष्ट ।
ग्रहीषीष्ट, ग्राहिषीष्ट ।
दर्शिषीष्ट, दृक्षीष्ट ।
घानिषीष्ट, वधिषीष्ट ।
नंसीष्ट ।
2.
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शब्दार्थ
=
विशिष्ट शक्ति
(पुंलिंग) | लब्धि (पुंलिंग) सान्निध्य = निकटता (स्त्रीलिंग) सांध्य = संध्या संबंधी
(स्त्रीलिंग) ( नपुं. लिंग) (विशेषण)
संस्कृत में अनुवाद करो
पुष्ट
सभी लब्धियाँ जिनको वरी हैं, वे गौतम गणधर तुम्हारी लक्ष्मी को (पुष्)
सरस्वती देवी हमेशा हमारे मुखकमल में सान्निध्य करे । (कृ) यह पुत्र विद्या के पार को प्राप्त करे । ( पारम् + या)
करें ।
मैं लक्ष्मीवान् बनूँ (भू) और तू पुत्रवान बन ।
ये दुष्ट मर जाएँ । (मृ)
विवेक और पुरुषार्थ को नहीं छोड़नेवाले ऐसे तुम्हें तुम्हारा पुरुषार्थ सिद्धि प्रदान करे । (दा)
हिन्दी में अनुवाद करो
1. हे राजन् ! यूयं लक्ष्मीमवृवं द्विषोऽस्तीर्वं पृथिवीं ववृद वे तत्सुखमासिषीध्वं गुरून्स्तूयास्त तथा सान्ध्यविधिं कृषीवं ततश्चैतद्भुवनं यशोभिः स्तीर्षीवम् ।
यथा समगतोमेशे श्रीः कृष्णे समगंस्त च । संगंसीष्ट त्वयि तथा सा शुभैः संगसीष्ट च ।।