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आओ संस्कृत सीखें
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पाठ - 33
तत्पुरुष समास 1. बहुव्रीहि, अव्ययीभाव समास से भिन्न लक्षणवाला जो समास होता है, उसका
समावेश तत्पुरुष समास में होता है । तत्पुरुष समास खूब व्यापक है ।
गति तत्पुरुष 1. उपसर्ग उरी, उररी, श्रुत्, प्रादुस् आदि, च्चि प्रत्ययांत शब्द अलम्, सत, असत्,
तिरस् आदि शब्द धातु के साथ संबंध रखते हों तब गति संज्ञक हैं और धातु से
पहले जुड़ते हैं। 2. गति संज्ञक नाम और कु नाम दूसरे नाम के साथ नित्य समास होता है । उदा. प्रकृत्य, ऊरीकृत्य, उररीकृत्य, शुक्लीभूतम्
अलङ्कृत्य, सत्कृत्य, असत्कृत्य कु अव्यय पाप या अल्प अर्थ में है । कुत्सितः ब्राह्मणः - इसी प्रकार कुपुरुषः ।
ईषद् उष्णं कोष्णं, कवोष्णं, कदुष्णम् । 3. स्वरादि उत्तर पद पर तत्पुरुष समास में कु का कद् होता है ।
उदा. कुत्सितः अश्वः - कदश्वः । - अक्ष और पथिन् उत्तर पद में हो तो का होता है ।
काक्ष: कापथम् । - पुरुष पर कु का विकल्प से का होता हैं।
कापुरुषः, कुपुरुषः । - उत्तरपद पर अल्प अर्थ में कु का का होता है ।
ईषद् मधुरम् – कामधुरम् । - उष्ण शब्द पर कु का का और कव भी होता है।
कोष्णम् कवोष्णम्, कदुष्णम्। - निंदा और कृच्छ्र अर्थ में रहा दुर् नाम दूसरे नाम के साथ नित्य समास होता है निन्दितः पुरुषः दुष्पुरुषः ।
दुर्जनः