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आओ संस्कृत सीखें
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यासम्
यास्म
यात्
पाठ - 30
आशीर्वाद परस्मैपदी - प्रत्यय
यास्व यास् यास्तम्
यास्त यास्ताम्
यासुस् आत्मनेपदी प्रत्यय सीय सीवहि
सीमहि सीष्ठास्
सीयास्थाम् सीयास्ताम्
सीरन् परस्मैपद के प्रत्यय कित् हैं। 1. नामी उपांत्य अनिट् धातु से और ऋ वर्णांत अनिट् धातु से आत्मनेपद के प्रत्यय
कित् जैसे होते हैं।
उदा. भित्सीष्ट, कृषीष्ट, तीर्षीष्ट 2. गम् धातु से आत्मनेपद के प्रत्यय विकल्प से कित् जैसे होते है। उदा. संगसीष्ट, संगसीष्ट
परस्मैपद में विशेषता 3. ऋकारांत धातु से ऋ का, य से प्रारंभ होनेवाले आशी: के प्रत्ययों पर रि होता
सीध्वम्
सीष्ट
उदा. क्रियात् 4. संयोग के बार ऋ हो ऐसे ऋकारांत धातु से तथा ऋ धातु का,, य से प्रारंभ
होनेवाले आशी: के प्रत्ययों पर गुण होता है। उदा. स्मर्यात्, अर्यात् आदि में संयोग हो और अंत में आ हो ऐसे आकारांत धातु के आ का परस्मैपद में विकल्प से ए होता है।
उदा. ग्लायात्, ग्लेयात् 6. गै (गा.), पा-पीना, स्था, सा (सो), दा संज्ञक, मा, हा (छोड़ना) ।
का परस्मैपद में नित्य ए होता है ।