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आओ संस्कृत सीखें
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दिनं दिन प्रति
--- - प्रतिदिनम् । शक्तेः अनतिक्रमण
यथाशक्ति पठ। शीलस्य सादृश्यम्
सशीलं अनयोः । 12. सादृश्य सिवाय उपर्युक्त अर्थ में यथा अव्यय, दूसरे नाम के साथ पूर्व पद की
मुख्यता से नित्य अव्ययीभाव समास होता है। रूपस्य अनुरूपम्
यथारूपम् चेष्टते । ये ये वृद्धाः तान्
यथावृद्धम् अभ्यर्चय । सूत्रस्य अनतिवृत्या
यथासूत्रम् अनुतिष्ठति ।
समासांत प्रत्यय 13. युद्ध अर्थ में हुए समास के अंत में इ (इच्) होता है ।
उदा. केशाकेशि । 14. प्रति, परस् और अनु पहले हो और अक्षि अंत में हो ऐसे अव्ययी भाव से अ
होता है। उदा. अक्षिणी प्रति - प्रत्यक्षम् ।
अक्ष्णोः परः - परोक्षम् ।
अक्ष्णो: समीपम् - अन्वक्षम् । 15. अन् अंतवाले अव्ययीभाव से अ होता है ।
राज्ञः समीपम् - उपराजम् ।
आत्मनि - अध्यात्मम् । 16. अन् अंतवाले नाम नपुंसक लिंग में हो तो विकल्प से अ होता है । उदा. उपचर्मम् - उपचर्म ।
अहः अहः प्रति - प्रत्यहम् - प्रत्यहः । 17. कई अव्ययी भाव समास में नित्य या विकल्प से अ होता है । उदा. अक्ष्णोः समीपम् - समक्षम्, प्रतिशरदम् ।
अन्तर्गिरम्, अन्तर्गिरि । उपनदम् - उपनदि ।
उपककुभम् - उपककुभ् इत्यादि । 18. इ (इच्) प्रत्ययांत व्यंजनादि उत्तर पद पर पूर्व पद का स्वर दीर्घ होता है अथवा
उसके स्थान पर आ होता है। केशाकेशि, मुष्टीमुष्टि, मुष्टा मुष्टि । अस्यसि ।