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आओ संस्कृत सीखें
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13. दय, अय्, आस् और कास् धातु से परोक्षा के प्रत्ययों के बदले आम् होता है। उदा. दयाञ्चके । पलायाञ्चक्रे । आसाञ्चके । कासाञ्चके
दयाम्बभूव । दयामास आदि । 14. कृच्छ् और ऊर्गु सिवाय जिन धातुओं का आदि स्वर गुरु नामि हो तो उन
धातुओं से परोक्षा के प्रत्यय के बदले आम् होता है । (दीर्घ स्वर गुरु कहलाता है तथा संयुक्त व्यंजन के पूर्व का स्वर ह्रस्व हो तो भी गुरु कहलाता है।)
उदा. ईहाञ्चक्रे, ईहाम्बभूव, ईहामास, उक्षाञ्चकार । 15.. जागृ, उष्, सम्+इन्ध् धातु से परोक्षा के प्रत्यय के बदले आम विकल्प से होता
उदा. जागराञ्चकार । जागराम्बभूव । जागरामास विकल्प से - जजागार
ओषाञ्चकार - उवोष ।
समिन्धाञ्चक्रे - समीधे । 16. अनेक स्वरी धातुओं का एक स्वरी प्रथम अंश द्विरुक्त होता है । उदा. जागृ = जजागृ + अ ।
जजा + अ = जजागार । जजागरतुः । 1) भी, ह्री, भृ और हु धातुओं से परोक्षा के स्थान पर आम विकल्प से होता
है और वह 'तिव्' जैसा होता है। ('तिव् जैसा' अर्थात् इन धातुओं का तिव् प्रत्यय पर जो रूप बनता है वह आम् पर भी करे अर्थात् द्वित्व होगा
और भृ धातु में इ भी होगा। उदा. बिभयाञ्चकार, बिभयाम्बभूव, बिभयामास पक्षे बिभाय ।
जिह्याञ्चकार, पक्षे जिहाय । बिभराञ्चकार, पक्षे बभार ।
जुहवाञ्चकार, पक्षे जुहाव । 18. विद् धातु से परोक्षा के स्थान पर आम् विकल्प से होता है और वह कित्
होता है। . उदा. विदाञ्चकार । पक्षे विवेद ।