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आओ संस्कृत सीखें
पाठ
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परोक्ष भूतकाल
1. अवित् परोक्षा तथा सेट् थ (थव्) पर प्रारंभ में रहे व्यंजन का आदेश न होता हो ऐसे धातु के दो असंयुक्त व्यंजन के मध्य में रहे स्वर अ का ए होता है तथा द्विरुक्ति नहीं होती है।
2.
उदा. पेचुः । पेचिथ । नेमुः । नेमिथ ।
पपाच
पपच, पेचिथ, पपक्थ
पपाच
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विपरीत दृष्टांत : बभणतुः । ततक्षिथ । दिदिवतुः । पपक्थ ।
उदा. लृ + उस्
-
ततर, ततार
तेरिथ
ततार
बभज,
बभाज
भेजिथ, बभक्थ
बभाज
यच् के रूप
पेचिव
पेचथुः
पेचतुः
रूप
शिव
नेशथुः
शतुः
ननश, ननाश
शिथ
ननाश
शुः
तॄ, त्रप्, फल् तथा भज् धातुओं के स्वर का ए होता है तथा द्विरूक्ति नहीं
होती है।
तर् + उस् = तेर् + उस् = तेरुः । तेरिथ ।
त्रेपे । फेलुः। फेलिथ । भेजुः । भेजिथ ।
तृ के रूप
तेरिव
पेचिम
पेच
पेचुः
तेरथुः
तेरतुः
भज् के रूप
भेजिव
भेजथुः
भेजतुः
शिम
नेश
तेरिम
तेर
तेरु:
भेजिम
भेज
भेजुः