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आओ संस्कृत सीखें
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दुह् = दूध देना (उभयपदी) | सृप् = जाना (गण १ परस्मैपदी) लिह् = चाटना (उभयपदी) | उप + पास में जाना प्र+पद् = पाना (गण ४ आत्मनेपदी) |
शब्दार्थ आयुष्यमत् = आप _ (पुं.लिंग) | आस्ताम् = रहने दो (अव्यय) दिनपति = सूर्य (पुं.लिंग) | त्वतः = तेरे से (अव्यय) गृद्धि = आसक्ति (स्त्री लिंग) | सामम् = संध्या (अव्यय) गृहिणी = स्त्री (स्त्री लिंग) | भीरु = डरपोक (विशेषण) संसद् = सभा (स्त्री लिंग) | वत्सल = वात्सल्यवाला (विशेषण) क्षिति = पृथ्वी (स्त्री लिंग) | स्फारित = खुला (विशेषण) गुर्जरराष्ट्र = गुजरात देश (नपुं. लिंग) ।
संस्कृत में अनुवाद करो : 1. दिनेश ! तू अपना मुँह साफ कर (मृज्) और ये नए कपड़े पहिन ! (वस्) 2. ग्वाला सुबह-शाम गायों को दोहता है । (दुह्) 3. अभी अखिल भारत देश में प्रजा, प्रजा का राज्य करती है । (ईश्) 4. तुम गुणीजनों की प्रशंसा करते हो । (ईड्) 5. अणहिलपुर पाटण गुजरात की राजधानी थी, उसका हमें पता नहीं है । (विद्) 6. ग्वाला जब गाय दोह रहा था, तब हम व्याकरण पढ़ रहे थे । (अधि+ई) 7. भ्रमर पुष्प में से शहद चाटता है । (लिह्) 8. सुबह-शाम ठंडे पानी से आँखें धोनी चाहिए । (मृज्) 9. किसी के ऊपर द्वेष न करें (द्विष्) और किसी को न मारें । (हन्) 10. जो प्राणियों की हिंसा करता है, वह अपनी आत्मा को पाप से लिप्त करता है।
(विह्) 11. तुम यह बात जानते थे, फिर भी तुमने मुझे कहा नहीं । (विद्) 12. उसने तलवार द्वारा उसके मस्तक पर प्रहार किया । (हन्)