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आओ संस्कृत सीखें
शतक्रतु = इंद्र
सन्निधि = पास में
स्तबक = गुच्छा घोडा
हय =
अगुली = अंगुली
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कटि = कमर कदली = केल का वृक्ष भूयस् = फिर से
तडित् = बिजली
भागीरथी = गंगा
अलंकरण = अलंकार ऊर्जस् ककुद् = बैल का स्कंध ( नपुं. लिंग)
( नपुं. लिंग) (नपुं. लिंग)
= बल
परिधान
= वस्त्र
( नपुं. लिंग) ( नपुं. लिंग)
पीयूष = अमृत
बर्ह = पिंछ
लाङ्गूल = पूंछ शकट = गाड़ी
( नपुं. लिंग) ( नपुं. लिंग) ( नपुं. लिंग)
1.
2.
3.
4.
5.
कतिपय = थोड़ा
चरम = अंतिम
(पुंलिंग) (पुंलिंग) (पुंलिंग)
तनु = पतला
(पुंलिंग) परिवृढ = समर्थ
(स्त्रीलिंग) प्रथम = पहला
(स्त्रीलिंग) बाढ = अच्छा (स्त्रीलिंग) विपन्न
= मरा हुआ
(अव्यय) | सहाध्यायिन् = साथ में पढ़नेवाला (स्त्रीलिंग)
(स्त्रीलिंग) | सन्नद्ध = : तैयार
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशे.) (विशेषण)
नेम = आधा (सर्वनाम) धातु गल् = गलना गण1 परस्मैपदी
संस्कृत में अनुवाद करो
खण्ड् = खंडित करना गण 1 आत्मनेपदी नह् = बाँधना गण 4 उभयपदी सम् + नह् = तैयार होना
परि + छिद् = जानना गण 7 उभयपदी लक्ष् = देखना गण 10 उभयपदी
हमारे सैन्य में इतने शत्रु कितने हैं ? ( कति)
थोड़े भी देव (कतिपय ) और थोड़े भी नाग, इसके समान ( संनिभ) नहीं है। पर्वतों में मेरु सबसे बड़ा (महत्) और सबसे चौड़ा (पृथु ) है।
अन्न
में उड़द सबसे अधिक भारी (गुरु) और बहुत चिकने (स्निग्धतम) हैं। पांडवों में भीमसेन सबसे अधिक मोटा, बहुत मजबूत (दृढ़ ) और अतिशय बलवान (बलवत्) था।
6. हाथ में पाँच अंगुलियाँ हैं, उनमें सबसे छोटी (अल्प) अंगुली (कतर या कतम) कौनसी ?
7. बहुतसा काल (अनेहस्) गया तो भी तदपि रामराज्य की महिमा - महिमन् को