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आओ संस्कृत सीखें
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पाँचवा प्रकरण | पाठ - 24
परोक्ष भूतकाल
परोक्ष भूतकाल परस्मैपदी के प्रत्यय प्रथम पुरुष अ (णव्) व द्वितीय पुरुष थ (थव्) अथुस् तृतीय पुरुष अ (ण) अतुस्
आत्मनेपदी प्रत्यय प्रथम पुरुष ए
वहे द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष परोक्षा के प्रत्यय लगने पर धातु द्वित्व होता है, परंतु स्वरादि प्रत्यय हो तो पहले द्वित्व करे, फिर स्वर संबंधी कार्य करे । उदा. भण् + अ (ण)
भण भण् + अ भभण् + अ
बभण् + अ = बभाण । 2. इन्ध् धातु से तथा जिसके अंत में संयोग न हो ऐसे धातुओं से वित् सिवाय के
परोक्षा के प्रत्यय कित् जैसे होते है, परंतु स्वञ् धातु से विकल्प से कित् होते हैं। उदा.
सम् + इन्ध् + ए = समीधे ।
परिषस्वजे, परिषस्वजे । कित् होने से न् का लोप हुआ । भिद् का बिभिदतुः (कित् होने से गुण नहीं हुआ)
बिभेद (यहाँ प्रत्यय कित् नहीं वित् होने से गुण हुआ) 3. प्रथम पुरुष एकवचन का अ (णव्) प्रत्यय विकल्प से णित् होता है। णित् होने पर वृद्धि होगी।
श्रि - शिश्राय ।