SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 1168 ल FB आथे आते पाँचवा प्रकरण | पाठ - 24 परोक्ष भूतकाल परोक्ष भूतकाल परस्मैपदी के प्रत्यय प्रथम पुरुष अ (णव्) व द्वितीय पुरुष थ (थव्) अथुस् तृतीय पुरुष अ (ण) अतुस् आत्मनेपदी प्रत्यय प्रथम पुरुष ए वहे द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष परोक्षा के प्रत्यय लगने पर धातु द्वित्व होता है, परंतु स्वरादि प्रत्यय हो तो पहले द्वित्व करे, फिर स्वर संबंधी कार्य करे । उदा. भण् + अ (ण) भण भण् + अ भभण् + अ बभण् + अ = बभाण । 2. इन्ध् धातु से तथा जिसके अंत में संयोग न हो ऐसे धातुओं से वित् सिवाय के परोक्षा के प्रत्यय कित् जैसे होते है, परंतु स्वञ् धातु से विकल्प से कित् होते हैं। उदा. सम् + इन्ध् + ए = समीधे । परिषस्वजे, परिषस्वजे । कित् होने से न् का लोप हुआ । भिद् का बिभिदतुः (कित् होने से गुण नहीं हुआ) बिभेद (यहाँ प्रत्यय कित् नहीं वित् होने से गुण हुआ) 3. प्रथम पुरुष एकवचन का अ (णव्) प्रत्यय विकल्प से णित् होता है। णित् होने पर वृद्धि होगी। श्रि - शिश्राय ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy