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आओ संस्कृत सीखें
निग्रह = बंधन
उपसर्ग = उपद्रव
क्रम = पैर
=
नारकिक = नरक का जीव नैषधि = निषेध देश का राजा (पुंलिंग)
प्रबोध = जगना
वंश = वंश
गवेषणा = शोध
गोणी = गुणी
प्रवृत्ति = खबर मृगाक्षी
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शब्दार्थ (पुंलिंग) | मुधा = व्यर्थ
(पुंलिंग) | ज्ञानपंचमी = कार्तिक (पुंलिंग)
(पुंलिंग) अनुशासन = शिक्षा तेजस् = तेज
(पुंलिंग) भाण्डागार = भंडार
(पुंलिंग) अभिराम = सुंदर
(स्त्रीलिंग) आम = कच्चा
(स्त्रीलिंग) एकाकिन् = अकेला
(स्त्रीलिंग) कुशलिन् = सुखी
अस्तु = निषेध सूचक
परस्परम् = परस्पर
मृग समान नेत्रवाली
(अव्यय)
चाटु = मधुर वचन ( स्त्री लिं.) नव = नवीन (अव्यय) प्रौढ : गंभीर
=
शुक्लापंचमी
(स्त्रीलिंग)
( नपुं. लिंग)
( नपुं. लिंग)
( नपुं. लिंग)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
(अव्यय) | हत्याकृत् = हत्या करनेवाला (विशेषण)
(विशेषण)
(विशेषण)
संस्कृत में अनुवाद करो
1. हम कल ज्ञानपंचमी के दिन शुभ मुहूर्त में व्याकरण पढ़ने (अध्येतुम् ) का प्रारंभ करेंगे । (प्र+आ+रभू) व्याकरण पढ़कर सिद्धांत पढ़ेंगे ।
2.
यदि तुम सदाचार में रहोगे (वृत्) तो सरस्वती और लक्ष्मी से बढ़ोगे । (वृध्
3. ये मुनि अपने तप तेज द्वारा कर्मों को जला देंगे (भ्रस्ज्) और शाश्वत सुख में मग्न
बनेंगे (मस्ज्)।
4. तुम्हारे राजकुमारों के द्वारा थोड़े समय में ज्यादा विद्याएँ ग्रहण की जाएंगी, क्योंकि वे विनीत हैं। (ग्रह)
5.
ये बोए हुए धान्य पक जाएंगे तब किसानों द्वारा काटे जाएंगे (लू) ।
6.
अभी यह करता हूँ, बाद में यह करूंगा और यह करके (विधाय) फिर वह करूंगा स्वप्नतुल्य इस जीवलोक में कौन मानेगा ?
7. यदि राम वन में नहीं गए होते और रावण द्वारा सीता का हरण नहीं हुआ होता तो रामायण में क्या लिखा जाता ?