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आओ संस्कृत सीखें
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पाठ-20
5.
धातुरूप शब्द 1. 'धातु सूचित क्रिया को करनेवाला' इस अर्थ में धातु को क्विप्प्रत्यय लगता है। उदा. 1. विश्वं पाति इति क्विप् = विश्वपाः ।
2. तत्त्वं वेत्ति इति क्विप् तत्त्वविद् । 2. विप् प्रत्यय के सभी वर्ण इत् हैं अर्थात् सभी प्रत्यय उड़ जाते हैं, अत: क्विप्
प्रत्ययांत शब्द, धातु जैसे होने से धातुरुप कहलाते हैं । 3. ह्रस्व स्वरांत धातु को पित्कृत् प्रत्यय पर त् जुड़ता है । उदा. 1. शत्रु जयति क्विप् = शत्रुजित् ।
अनु + सृ + क्त्वा = अनुसृत्य । क्रुध् आदि और सं-पद् आदि धातुओं को नित्य और भी आदि धातुओं के विकल्प से क्विप् प्रत्यय लगकर स्त्रीलिंग शब्द बनते हैं। उदा. क्रुध्, मुद्, संपद् विपद् आदि
भी:, भीतिः, ही:, हीति: आदि आकारांत शब्द धुट् सिवाय के स्वरादि प्रत्ययों पर आ (आप) प्रत्यय को छोड़कर आकारांत नामों से आ का लोप होता है । उदा. विश्वपः
पुंलिंग - स्त्री लिंग के रूप विश्वपाः विश्वपौ
विश्वपा: विश्वपाम् विश्वपौ
विश्वपः विश्वपा विश्वपाभ्याम् विश्वपाभिः विश्वपे विश्वपाभ्याम् विश्वपाभ्यः विश्वपः विश्वपाभ्याम् विश्वपाभ्यः
विश्वपः 7. विश्वपि विश्वपोः संबोधन विश्वपाः विश्वपौ नोट : 1. सं+पद् आदि धातुओं में से कई धातुओं को ति प्रत्यय भी लगता है -
संपत्तिः, विपत्तिः ।
विश्वपोः
विश्वपाम् विश्वपासु विश्वपाः