________________
आओ संस्कृत सीखें
21022
संस्कृत में अनुवाद करो : 1. यदि प्रतिष्ठा (इज्जत) चाहते हो तो दो (दा) लेकिन मांगो मत ! (मार्ग) 2. जीव को जब तक विषम कर्म बीच में आते हैं, तब अन्य लोग तो दूर रहे
(आस्ताम्) स्वजन भी दूर हो जाते हैं । 3. वास्तव में वह खाता नहीं, पीता नहीं, और धर्म में भी व्यय नहीं करता है।
(वि+इ. गण 1 परस्मै) परंतु उस कृपण को पता नहीं है कि क्षण भर में ही यम
का दूत आ जाता है । (प्र + भू) 4. देहावास को अशाश्वत, असार और मरणांत जानने वाला कौन मनुष्य मृत्यु से
उद्वेग पाता है ! (उद् + विज्) 5. कई लोग प्रियजनों के मनोरथ पूर्ण करते हैं (पृ) तो कई लोग अपना पेट भी नहीं
भर पाते हैं । (भृ) 6. सांप का जहर उसके खून में फैल गया । (विष्) 7. धोबी तालाव में कपडे धोता है । (निज्) 8. राजा के अधिकारी जमीन को मापते हैं । (मा) 9. मैंने इस ग्रंथ की रचना कर (नि+मा) अपनी शक्ति को मापा । (मा) 10. भगवान हेमचन्द्रसूरिजी ने अणहिलपुर पाटण में सिद्धहेम व्याकरण की रचना की।
(निर् + मा) 11. कर्म से मुक्त हुआ जीव ऊपर जाता है (उद्+हा) और लोक के अग्रभाग में जाकर रहता है। (अधि + स्था)
हिन्दी में अनुवाद करो विस्मय-स्मेरदृष्टिभिः पोरैरनेकप्रकारमभिनन्द्यमानः स राजा परांमुदमधत्त। 2. विधेहि सर्वशक्त्या महात्मनात्मनो रक्षाम् । 3. केनापि सार्धं मेधावी विरोधं विदधीत न । 4. अदत्तं नाऽऽददीत स्वं तृणमात्रमपि क्वचित् । 5. यो हि मितं भुङ्क्ते स बहु भुङ्क्ते । 6. यो हि दद्यादपात्राय संज्ञानममृतोपमम् ।
स हास्यः स्यात्सतां मध्ये, भवेच्चानर्थभाजनम् ।।