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आओ संस्कृत सीखें
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अध्ययै
विध्यर्थ अधीयीय अधीयीवहि
अधीयीमहि अधीयीथाः
अधीयायाथाम् अधीयीध्वम् अधीयीत अधीयायाताम्
अधीयीरन् .. आज्ञार्थ अध्ययावहै
अध्ययामहै अधीष्व अधीयाथाम्
अधीध्वम् अधीताम् अधीयाताम्
अधीयताम् वर्तमान कृदंत - या - यात् (तीनों लिंग में तुदत् के अनुसार रूप होंगे।) 11. स्त्री लिंग का ई (ङी) प्रत्यय तथा नपुंसक द्विवचन का ई प्रत्यय पर ना (श्ना)
विकरण प्रत्यय को छोड़कर अ वर्ण के बाद में रहे अत् का विकल्प से अन्त् होता है। उदा. यान्ती, याती, तुदन्ती, तुदती
ब्रू का ब्रुवत्
इका यत् - इसके रूप 'चिन्वत्' की तरह होते हैं। आत्मनेपदी में - ब्रुवाण: शयानः, अधीयानः कर्मणि में या का यायते आदि
. इ का ईयते = जाना वर्तमान कृदंत । यायमानः । 12. य से प्रारंभ होनेवाले कित् प्रत्ययों पर शी का शय होता है ।
शी + य (क्य) + ते = शय्यते वर्तमान कृदंत = शय्यमानम्
दसरे गण के धात इ = जाना (परस्मैपदी) । द्रा = सोना
(परस्मैपदी) अप+इ = दूर होना (परस्मैपदी) | नु = स्तुति करना (परस्मैपदी) उद् + इ = उदय होना (परस्मैपदी) | पा = रक्षण करना (परस्मैपदी) उप + इ = पास में जाना (परस्मैपदी) | प्सा = भक्षण करना
(परस्मैपदी) ख्या = कहना (परस्मैपदी) | भा = शोभा देना (परस्मैपदी) तु = भरना
(परस्मैपदी) |मा = रहना (परस्मैपदी)