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आओ संस्कृत सीखें
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पाठ- 13
दूसरा गण
मृज् धातु का गुण होने पर अ की वृद्धि होती है । उदा. मृज् + ति
मर्ज् + ति = मार्ज् + ति
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यज्, सृज्, मृज, राज्, भ्राज्, भ्रस्ज्, व्रश्च्, परिव्राज् इन धातुओं के च् और ज् का तथा श् अंत वाले धातुओं के श् का व्यंजनादि धुट् प्रत्ययों पर तथा पदांत में ष् होता है ।
उदा.
1.
मार्ष्टि
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
मार्मि
मार्क्ष
मार्ष्टि
मृज् धातु के ऋ की स्वरादि प्रत्ययों पर विकल्प से वृद्धि होती है ।
उदा. मृज् + अति = मार्जन्ति, मृजन्ति
मृज् धातु के रूप
वर्तमाना
अमार्जम्
अमार्ट, ई
अमृष्टाम्
यज् + तुम् = यष्टुम्
यज् + त्वा = इष्ट्वा
सृज् + तुम् = स्त्रष्टुम्
भ्रस्ज् + तुम् = भ्रष्टुम्
व्रश्च् + तुम = व्रष्टुम्
यज् + तृ = यष्ट
स्पृश् + त = स्पृष्टः
पदान्त में - परिव्राट्
मृज्व:
मृष्ठ:
मृष्ट:
ह्यस्तनी
अमृज्व
अमृष्टम्
अमार्जन्
मृज्म:
मृष्ठ
मार्जन्ति, मृजन्ति
अमृज्म
अमृष्ट
अमृजन्