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________________ आओ संस्कृत सीखें 1. 2. 3 3. पाठ- 13 दूसरा गण मृज् धातु का गुण होने पर अ की वृद्धि होती है । उदा. मृज् + ति मर्ज् + ति = मार्ज् + ति 71 यज्, सृज्, मृज, राज्, भ्राज्, भ्रस्ज्, व्रश्च्, परिव्राज् इन धातुओं के च् और ज् का तथा श् अंत वाले धातुओं के श् का व्यंजनादि धुट् प्रत्ययों पर तथा पदांत में ष् होता है । उदा. 1. मार्ष्टि 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. मार्मि मार्क्ष मार्ष्टि मृज् धातु के ऋ की स्वरादि प्रत्ययों पर विकल्प से वृद्धि होती है । उदा. मृज् + अति = मार्जन्ति, मृजन्ति मृज् धातु के रूप वर्तमाना अमार्जम् अमार्ट, ई अमृष्टाम् यज् + तुम् = यष्टुम् यज् + त्वा = इष्ट्वा सृज् + तुम् = स्त्रष्टुम् भ्रस्ज् + तुम् = भ्रष्टुम् व्रश्च् + तुम = व्रष्टुम् यज् + तृ = यष्ट स्पृश् + त = स्पृष्टः पदान्त में - परिव्राट् मृज्व: मृष्ठ: मृष्ट: ह्यस्तनी अमृज्व अमृष्टम् अमार्जन् मृज्म: मृष्ठ मार्जन्ति, मृजन्ति अमृज्म अमृष्ट अमृजन्
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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