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अनुस्सतिकम्मट्ठाननिद्देसो परिमपस्सेन ओतिण्णा पञ्च पच्छिमपस्सेन, पञ्च दक्षिणपस्सेन, पञ्च वामपस्सेन । दक्खिणहत्थं विनन्धमाना पि हत्थस्स पुरिमपस्सेन पञ्च पच्छिमपस्सेन पञ्च। तथा वामहत्थं विनन्धमाना, दक्खिणपादं विनन्धमाना पि पादस्स पुरिमपस्सेन पञ्च, पच्छिमपस्सेन पञ्च। तथा वामपादं विनन्धमाना पी ति एवं सरीरधारका नाम सट्ठि महान्हारू कायं विनन्धमाना ओतिण्णा। ये कण्डरा ति पि वुच्चन्ति । ते सब्बे पि कन्दमकुलसण्ठाना। अञ्जु पन तं तं पदेसं अज्झोत्थरित्वा ठिता। ततो सुखुमतरा सुत्तरज्जुकसण्ठाना। अचे ततो सुखुमतरा पूतिलतासण्ठाना, अञ्चे ततो सुखुमतरा महावीणातन्तिसण्ठाना। अचे थूलसुत्तकसण्ठाना। हत्थपादपिट्ठीसु न्हारू सकुणपादसण्ठाना। सीसे न्हारू दारकानं सीसजालकसण्ठाना। पिट्ठियं न्हारू आतपे पसारितअल्लजालसण्ठाना। अवसेसा तंतंअङ्गपच्चङ्गानुगता न्हारू सरीरे पटिमुक्कजालकञ्चकसण्ठाना । दिसतो द्वीसु दिसासु जाता। ओकासतो सकलसरीरे अट्ठीनि आबन्धित्वा ठिता। परिच्छेदतो हेट्ठा तिण्णं अट्ठिसतानं उपरि पतिद्विततलेहि, उपरि मंसचम्मानि आहच्च ठितप्पदेसेहि, तिरियं अञमञ्जन परिच्छिन्ना, अयं नेसं सभागपरिच्छेदो। विसभागपरिच्छेदो पन केससदिसो येव। (७)
२६. अट्ठी ति। ठपेत्वा द्वत्तिंस दन्तट्ठीनि, अवसेसानि चतुसट्टि हत्थट्ठीनि, चतुसट्टि कर सामने की ओर से नीचे उतरती हैं, एवं अन्य पाँच पीछे से, पाँच दाहिनी ओर से और पाँच बायीं ओर से। दाहिने हाथ को बाँधने वाली (नसों) में से पाँच हाथ के सामने की ओर से नीचे आती हैं, पाँच पीछे की ओर से। वैसे ही बायें हाथ को बाँधने वाली भी। दाहिने पैर को बाँधने वाली नसों में से पाँच सामने की ओर से नीचे आती हैं, पाँच पीछे की ओर से। वैसे ही बायें पैर को बाँधने वाली भी। यों, 'शरीरधारक' कहलाने वाली साठ नसें शरीर को बाँधे हुए नीचे आती हैं। उन्हें कण्डरा (बड़ी नस या नाडी) भी कहते हैं।
ये कन्द (शकरकन्द) की कली के आकार की होती हैं। अन्य उन उन प्रदेशों (शरीर के भागों) में प्रविष्ट होकर स्थित हैं। जो उनसे भी पतली हैं वे सूत की रस्सी के आकार की हैं। जो उनसे भी पतली हैं, वे पूतिलता (गुडूची) के आकार की हैं। जो उनसे भी पतली हैं वे बड़ी वीणा के तारों के आकार की हैं। अन्य मोटे सूत के आकार की। हाथ पैर और पीठ की नसें पक्षी के पञ्जों के आकार की हैं। सिर की नसें बच्चों के सिर पर की जाली (जालीदार टोपी?) के आकार की हैं। पीठ की नसें धूप में फैलाये गये गीले जाल के आकार की हैं। उस उस अङ्ग-प्रत्यङ्ग में जुड़ी हुई अन्य नसें शरीर की पहनी हुई कसी कसाई जालीदार बण्डी (जैकेट) के आकार की हैं।
दिसतो-दोनों दिशाओं में उत्पन्न हैं। ओकासतो-समस्त शरीर में हड्डियों को बाँधकर। परिच्छेदतो-नीचे तीन सौ हड़ियों के ऊपर प्रतिष्ठित सतह से, ऊपर मांस और चर्म से लिप्त भागों
१. "कण्डरा तु महासिरा"-अभिधान०, २७९ ।
स्रायु से सम्बद्ध उपर्युक्त विवरण की आधुनिक शरीरविज्ञान के साथ आश्चर्यजनक समानता है। विसुद्धिमग्ग में अस्थि, अस्थिमज्जा, वृक्क, हृदय, यकृत, क्लोमक, प्लीहा, फुफ्फुस आदि के जो रंग आकार, स्थान, संख्या आदि वर्णित हैं, उनकी भी आधुनिक शरीरविज्ञान के साथ समानता है।