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समाधिनिद्देसो
२३७ कुट्टदारूस न कुट्टदारूनि जानन्ति-'मयं वल्लीहि विनद्धानी' ति, न पि वल्लियो जानन्ति'अम्मेहि कुट्टदारूनि विनद्धानी' ति; एवमेव न अट्ठीनि जानन्ति–'मयं न्हारूहि आबद्धानी' ति, न पि न्हारू जानन्ति–'अम्हेहि अट्ठीनि आबद्धानी' ति। अचमचं आभोगपच्चवेक्षणरहिता एते धम्मा। इति न्हारु नाम इमस्मि सरीरे पाटियेक्को कोट्ठासो अचेतनो अब्याकतो सुझो निस्सत्तो थद्धा पथवीधातू ति।
___ अट्ठीसु पण्हिकट्ठि गोप्फकढेि उक्खिपित्वा ठितं । गोप्फकट्टि जट्टि उक्खिपित्वा ठितं। जट्ठि ऊरुढेि उक्खिपित्वा ठितं, ऊरुट्ठि कटिट्ठि उक्खिपित्वा ठितं। कटिट्ठि पिट्टिकण्टकं उक्खिपित्वा ठितं। पिट्टिकण्टको गीवढेि उक्खिपित्वा ठितो। गीवट्ठि सीस४ि उक्खिपित्वा ठितं। सीसट्ठि गीवट्ठिके पतिट्ठितं। गीवट्ठि पिट्ठिकण्ठके पतिद्रुितं । पिट्ठिकण्टको कटिट्ठिम्हि पतिद्वितो। कटिठि ऊरुट्ठिके पतिद्रुतं । ऊरुट्ठि जट्टिके पतिट्ठितं । जट्ठि गोप्फकट्ठिके पतिट्ठितं । गोप्फकट्ठि पण्हिकट्ठिके पतिट्ठितं। ... तत्थ यथा इट्टकदारुगोमयादिसञ्चयेसु न हेट्ठिमा हेट्ठिमा जानन्ति–'मयं उपरिमे उपरिमे उक्खिपित्वा ठिता' ति, न पि उपरिमा उपरिमा जानन्ति–'मयं हेट्ठिमेसु हेट्ठिमेसु पतिट्ठिता' ति; एवमेव न पण्हिकट्ठि जानाति–'अहं गोप्फकटुिं उक्खिपित्वा ठितं' ति। न गोप्फकट्ठि जानाति–'अहं जट्टि उक्खिपित्वा ठितं' ति। न जट्टि जानाति–'अहं ऊरुढेि उक्खिपित्वा ठितं' ति। न ऊरुट्ठि जानाति–'अहं कटिटुिं उक्खिपित्वा ठितं' ति। न कटिट्टि जानाति
के उपयोग में आने वाली लकड़ियाँ ('कुट्टदारु', संस्कृत में-'कुष्ट' अर्थात् एक विशेष प्रकार का पौधा) यदि लताओं में बँधी हों तो वे लकड़ियाँ यह नहीं जानतीं कि "हम लताओं से बँधी हैं", लतायें भी नहीं जानतीं-"हमसे लकड़ियाँ बँधी हैं"; वैसे ही अस्थियाँ नहीं जानती-"हम स्नायुओं से बँधी हैं, स्नायु भी नहीं जानते-"हमसे अस्थियाँ बँधी हैं"। ये धर्म परस्पर पूर्ववत्... । यों, स्नायु पृथ्वीधातु है।
अस्थि-अस्थियों में एड़ी की अस्थि गल्फ की अस्थि को उठाये हुए स्थित है। गुल्फअस्थि टॅखने की अस्थि को, टॅखने की अस्थि जाँघ की अस्थि को, जाँघ की अस्थि कमर की अस्थि को, कमर की अस्थि रीढ़ की (काँटेनुमा) अस्थि को, रीढ़ की अस्थि ग्रीवा की अस्थि को, ग्रीवा की अस्थि सिर की अस्थि को उठाये हुए है। सिर की अस्थि ग्रीवा की अस्थि पर प्रतिष्ठित है। ग्रीवा की अस्थि रीढ़ की हड्डी पर प्रतिष्ठित है। रीढ़ की हड्डी कमर की हड्डी पर टिकी हुई है। कमर की अस्थि ,जाँघ की अस्थि पर टिकी हुई है। जाँघ की अस्थि टॅखने की अस्थि पर टिकी है। टॅखने की अस्थि गुल्फ की अस्थि पर टिकी है। गुल्फ की अस्थि एड़ी की अस्थि पर टिकी है।
इनमें, जैसे ईंट, लकड़ी, गोबर आदि को (एक के ऊपर एक) रखने पर, नीचे नीचे की (वस्तुएँ) यह नहीं जानतीं कि हम ऊपर ऊपर वालियों को उठाये हुए हैं; न ही ऊपर ऊपर वाली जानती हैं कि हम नीचे-नीचे वालियों पर स्थित हैं; वैसे ही एड़ी की अस्थि नहीं जानती कि मैं गुल्फ की अस्थि को उठाये हुए हूँ। न ही गुल्फ की अस्थि जानती है कि मैं टॅखने की अस्थि को उठाये हुए हूँ। न टॅखने की अस्थि जानती है कि मैं जाँघ की अस्थि को उठाये हुए हैं, न