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अनुस्सतिकम्मट्ठाननिद्देसो
८७ कटिट्ठीनि द्वे पि एकबद्धानि हुत्वा कुम्भकारिकउद्धनसण्ठानानि। पाटियेकं कम्मारकूटयोत्तकसण्ठानानि । कोटियं ठितं आनिसदट्ठि अधोमुखं कत्वा गहितसप्पफणसण्ठानं, सत्तछानेसु छिद्दावछिदं । पिछिकण्टकठ्ठीनि अब्भन्तरतो उपरूपरि ठपितसीसपट्टवेठकसण्ठानानि, बाहिरतो वट्टनावळिसण्ठानानि। तेसं अन्तरन्तरा ककचदन्तसदिसा द्वे तयो कण्टका होन्ति।
चतुवीसतिया पासुकट्ठीसु अपरिपुण्णानि अपरिपुण्णअसिसण्ठानानि। परिपुण्णानि परिपुण्णअसिसण्ठानानि। सब्बानि पि ओदातकुक्कुटस्स पसारितपक्खसण्ठानानि। चुद्दस ऊरट्ठीनि जिण्णसन्दमानिकपञ्जरसण्ठानानि । हदयट्ठि दब्बिफणसण्ठानं। अक्खकठ्ठीनि खुद्दकलोहवासिदण्डसण्ठानानि। कोट्ठीनि एकतो परिक्खाणसीहळकुद्दालसण्ठानानि।।
बाहुठ्ठीनि आदासदण्डकसण्ठानानि। अग्गबाहुठ्ठीनि यमकतालकन्दसण्ठानानि। मणिबन्धठ्ठीनि एकतो अल्लियापेत्वा ठपितसीसकपट्टवेठकसण्ठानानि। पिट्ठिहत्थट्ठीनि कोट्टितकन्दलकन्दरासिसण्ठानानि। हत्थङ्गलीसु मूलपब्बट्ठीनि पणवसण्ठानानि, मज्झपब्बट्ठीनि अपरिपुण्णपनसट्ठिसण्ठानानि, अग्गपब्बट्ठीनि कतकबीजसण्ठानानि। की पीठ के आकार की। घुटने की अस्थि एक ओर से पिघले हुए (परिक्षीण) फेन के आकार की हैं। जहां नरहर की अस्थि प्रतिष्ठित है, वह स्थान आगे से बहुत भोथरे हो चुके गाय के सींग के आकार का होता है। जंघा की अस्थि अनगढ़ कुल्हाड़ी या हथौड़ी की मूठ (डण्डे) के आकार की है। यह. जिस स्थान पर कमर की हड्डी पर प्रतिष्ठित है, वह खेलने की गोली (कञ्चे) के आकार की है। कमर की अस्थि का वह स्थान जहां यह (जंघे की अस्थि) प्रतिष्ठित हैं, अग्रभाग पर कटे हुए बड़े (आकार के) पुनाग (एक प्रकार का फल) के फल के समान होता है।
कटि (कमर) की दोनों अस्थियां एक साथ जुड़ी होने पर कुम्हार द्वारा बनाये चूल्हे के आकार की हैं। अलग अलग देखे जाने पर वे लोहार की निहाई को बांधने वाली जंजीर के समान हैं। पुढे की अस्थियां, अपने अन्तिम भाग में, पकड़कर मुँह नीचा कर दिये गये सांप के फन के आकार की है, जो सात आठ स्थान पर छिद्रों से युक्त है। पीठ की कण्टकसदृश अस्थियां अन्दर से एक के ऊपर एक रखे हुए शीशे की चद्दर (पत्र) से बनी नलियों के आकार की हैं, बाहर से मनकों की लड़ी के आकार की हैं। उनके बीच बीच में आरे के दाँतों के समान दो तीन कांटे होते हैं।
पसली की चौबीस हड़ियों में जो अपरिपक्व हैं, वे आधी अधूरी तलवार के आकार की हैं। जो परिपक्व हैं, वे पूरी तलवार के आकार की हैं। कुल मिलाकर वे सफेद मुर्गे के पसरे पंखों के आकार की हैं। चौदह छाती की अस्थियां रथ के जर्जरित ढाँचे के आकार की हैं। हृदय (कलेजा) की अस्थि करछुल की कटोरी के आकार की है। हँसली की अस्थियों का आकार लोहे की छोटी हथौड़ी की मूठ के समान है। पेट की अस्थियां एक ओर से घिसी हुई सिंहल (श्रीलंका) की कुदाल के आकार की है।
बाँह की अस्थियाँ दर्पण की मूठ के आकार की हैं। अग्र बाहु की अस्थियाँ जुडवाँ ताडकन्द के आकार की हैं। पहुँचे (मणिबन्ध) की अस्थियाँ एक साथ मिलाकर रखे गये, सीसे के पत्तर से बनी नलियों के आकार की हैं। हाथ के पृष्ठभाग की अस्थियाँ कूटे हुए शकरकन्द के गुच्छे के आकार की हैं। हाथ की अंगुलियों के मूलभाग की अस्थियाँ ढोल के आकार की हैं, 2-8